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अफवाह नहीं हकीकत

किसानों का आंदोलन क्यों हुआ तेज- 8 दिसंबर को करेंगे भारत बंद !

न्यूज डेस्क: केंद्र सरकार और प्रदर्शनकारी किसानों के बीच नए कृषि कानूनों पर सहमति नहीं बन पा रही है. इस बीच किसानों ने केंद्र पर दबाव बढ़ाने के लिए आंदोलन तेज करने का मन बनाया है. किसानों का कहना है कि अगर केंद्र सरकार ने उनकी मांग नहीं मानी तो 8 दिसंबर को भारत बंद किया जाएगा. वहीं, किसान नेता हरविंदर सिंह लखवाल ने कहा कि दिल्ली की बाकी सड़कों को भी अवरुद्ध करने की योजना बनाई गई है. वहीं, शनिवार को मोदी सरकार और कॉर्पोरेट घरानों के पुतले फूंकने का भी ऐलान किया गया है.

दिल्ली-गाजियाबाद बॉर्डर पर प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे किसान नेता राकेश टिकैत ने 8 तारीख के भारत बंद का आह्वान करते हुए गणतंत्र दिवस परेड में किसानों की भागीदारी की मांग की. उन्होंने कहा, ‘8 तारीख को पूरा भारत बंद रहेगा. इस बार 26 जनवरी की परेड में किसानों के पूरे सिस्टम को शामिल किया जाए. ट्रैक्टर हमेशा उबड़-खाबड़ ज़मीन पर ही चला है उसे भी राजपथ की मखमली सड़क पर चलने का मौका मिलना चाहिए.’

उधर, सिंघु बॉर्डर पर डटे अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने साफ कहा कि भारत सरकार का कोई भी संशोधन स्वीकार नहीं किया जाएगा. उन्होंने किसान आंदोलन को सिर्फ पंजाब का आंदोलन कहे जाने पर रोष प्रकट किया. मोल्लाह ने कहा, ‘इसे सिर्फ पंजाब आंदोलन बोलना सरकार की साजिश है, मगर आज किसानों ने दिखाया कि ये आंदोलन पूरे भारत में हो रहा है और आगे भी होगा. हमने फैसला लिया है कि अगर सरकार कल कोई संशोधन रखेगी तो हम संशोधन स्वीकार नहीं करेंगे.’

इसी प्रदर्शन स्थल पर भारतीय किसान यूनियन (BKU) ने शनिवार को पुतला दहन कार्यक्रम का ऐलान किया. यूनियन के महासचिव ने कहा, ‘5 दिसंबर को मोदी सरकार और कॉर्पोरेट घरानों के पुतले पूरे देश में फूंके जाएंगे. 7 तारीख को सभी वीर अपने मेडलों को वापिस करेंगे. 8 तारीख को हमने भारत बंद का आह्वान किया है व एक दिन के लिए सभी टोल प्लाजा फ्री कर दिए जाएंगे.’

किसान आंदोलन पर किसने क्या कहा

इधर, किसान आंदोलन पर हरेक दल की तरफ से अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने की कोशिशें भी तेज हो रही हैं. विपक्षी पार्टियों को इस समय केंद्र सरकार को बैकफुट पर लाने का एक बड़ा मौका दिख रहा है. इसलिए, उनमें किसानों का समर्थन पाने की होड़ दिख रही है. इसी सिलसिले में वो एक-दूसरे पर आरोप भी लगा रहे हैं. दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री और आप नेता मनीष सिसोदिया ने शुक्रवार को पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह पर हमला बोला. उन्होंने कहा, ‘वो (कैप्टन अमरिंदर सिंह) पंजाब के किसानों को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बता रहे हैं. पंजाब के मुख्यमंत्री आज बीजेपी के मुख्यमंत्री की तरह व्यवहार कर रहे हैं.’

उन्होंने किसानों के मुद्दे पर केंद्र सरकार को भी निशाने पर लिया. सिसोदिया ने कहा, ‘ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश के किसानों की आवाज दबा के केंद्र सरकार और कांग्रेस राजनीति कर रही है. कल कैप्टन अमरिंदर सिंह भाजपा के नेताओं से मिलते हैं, जो कहने के लिए पंजाब के मुख्यमंत्री हैं और बीजेपी का बचाव करते हैं.’ अमरिंदर पर इसी तरह का हमला आप के अन्य नेता और स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन एवं पार्टी प्रवक्ता राघव चड्ढा ने भी किया.

उधर, दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने किसानों का हितैषी बताने की होड़ में कहा, ‘आज मैंने सिंघु बॉर्डर पर किसानों के लिए की गई व्यवस्थाओं का जायज़ा लिया. बॉर्डर पर 300 से ज्यादा टॉयलेट दिल्ली सरकार ने लगाए हैं, पानी के लिए सौ से अधिक टैंकर और एंबुलेंस की व्यवस्था भी की गई है. सभी व्यवस्थाएं संतोषजनक है.’
वहीं, समाजवादी पार्टी (SP) के रामगोपाल यादव ने कहा, ‘सभी जानते हैं कि यह कानून किसानों की तकदीर को सील करने वाले हैं. सारी मंडियां खत्म हो जाएंगी. बड़े-बड़े लोग आकर मंडियां बना लेंगे और जब उनका एकाधिकार हो जाएगा तब वे किसानों की फसल को मनचाहे दाम पर खरीदेंगे. देश के सिस्टम को सरकार ने चंद लोगों को दे दिया है.’

किसान आंदोलन से राज्यों की राजनीति भी गरमा रही है. हरियाणा के पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने राज्यपाल से विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर डाली. हुड्डा ने कहा, ‘हरियाणा के राज्यपाल से आग्रह है कि वो विशेष सभा सत्र बुलाए और किसानों की समस्या पर चर्चा करें. सभा में हम अविश्वास प्रस्ताव पेश करेंगे क्योंकि जो मौजूदा सरकार है वो लोगों का और विधान सभा का विश्वास खो चुकी है.’

वहीं, राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने कहा, ‘किसानों की बात केंद्र सरकार ने नहीं सुनी जिसके कारण आज किसान पूरे देश में आंदोलन कर रहे हैं. लोकतंत्र के अंदर संवाद सरकार के साथ इस प्रकार कायम रहते तो यह चक्का जाम के हालात नहीं बनते एवं आम जन को तकलीफ का सामना नहीं करना पड़ता.’

इधर, टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन शुक्रवार को सिंघु बॉर्डर पहुंचे और कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों से मिले. उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने फोन पर किसानों से बात की और उनका समर्थन किया. उधर, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) ने केंद्र सरकार पर अड़ियल होने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, ‘किसानों की मांग है कि जो कानून बनाए गए है उन्हें निरस्त करने का काम किया जाए. MSP को लेकर क़ानून बनाया जाए. BJP हमेशा से किसानों की पार्टी नहीं रही,किसानों के माल की लूट करने वालों की पार्टी रही है. BJP को अपना अड़ियल रवैया छोड़कर किसानों की मांग को पूरा करना चाहिए.’

किसानों संग वार्ता में कई बिंदुओं पर सहमति, शनिवार को फिर होगी बैठक

न्यूज डेस्क: कृषि कानूनों के विरोध में करीब आठ घंटे के बाद केंद्र सरकार और किसानों के बीच बैठक खत्‍म हुई है. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि बातचीत सौहार्द्रपूर्ण वातावरण में हुई. कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों के साथ इस विषय पर ये चौथे चरण की बैठक थी. उन्होंने बताया कि शनिवार दोपहर 2 बजे यूनियन के साथ फिर से बैठक होनी है और शायद उस दिन हम किसी निर्णय पर होंगे. कृषि मंत्री से जब किसानों के आंदोलने समाप्त करने को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने बताया कि आज हुई बैठक में इस विषय पर कोई चर्चा नहीं हुई.

किसान नेताओं के साथ लगभग 8 घंटे तक चली मैराथन बैठक के बाद कृषि मंत्री मीडिया से कहा, “सरकार खुले मन से किसानों के साथ चर्चा कर रही है. किसानों के साथ आज चौथे चरण की बैठक हुई. आज सौहार्दपूर्ण माहौल में बैठक हुई. किसानों और सरकार ने अपना-अपना पक्ष रखा है.दो-तीन बिंदुओं पर किसानों की चिंता थी, हम हर मुद्दे पर खुले मन से बात कर रहे हैं, हमारा कोइ अहम नहीं है. मंडियों को सशक्‍त बनाने पर विचार हुआ. ट्रेडर का रजिस्ट्रेशन हो यह हम सुनिश्चित करेंगे.”

कृषि मंत्री आगे कहा, ” कोई विवाद होने पर एसडीएम कोर्ट या न्यायालय रहे ये यूनियन की चिंता थी. इस पर विचार करने के लिए हम पूरी तरह तैयार है. पराली के विषय पर ऑर्डिनेंस को लेकर किसानों की शंका है, विद्युत एक्ट को लेकर शंका है, उस पर भी सरकार बातचीत करने के लिए तैयार है. एक्ट के जो प्रावधान है उसमें किसानों को पूरी तरह से सुरक्षा प्रदान की गई है. फिर भी लोगों को शंका है तो उसका समाधान निकालने के लिए सरकार तैयार है.”

उन्‍होंने कहा कि न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य के बारे में किसानों की चिंता है. यह पहले भी जारी था, जारी है और आगे भी रहेगा. कृषि मंत्री ने कहा कि परसों यानी 5 दिसंबर को दोपहर को दोनों पक्षों की फिर बातचीत होनी है और उम्‍मीद है कि हम किसी सर्वसम्‍मत समाधान पर पहुंचेंगे. कृषि मंत्री पीयूष गोयल भी इस बैठक में सरकार की ओर से उपस्थित थे.

कृषि मंत्री ने किसानों के आंदोलन को लेकर कहा, “आंदोलन समाप्त करने के लिए विषय पर कोई बात आज नहीं हुई. मैं किसानों से आग्रह करता हूं कि सर्दी को देखते हुए किसान भाई आंदोलन समाप्त करें. बातचीत का सिलसिला जारी है. बातचीत के दरवाजे बंद नहीं है इसलिए किसानों से आंदोलन समाप्त करने की अपील करता हूं. ताकि दिल्ली के लोगों को जो परेशानी हो रही है वो भी दूर हो.”

वहीं दूसरी तरफ इस बैठक के बाद किसान नेताओं ने कहा है, “आंदोलन वापसी का कोई सवाल नहीं है. आज सरकार ने बातचीत की कोशिश की है लेकिन हमारी मांग है कि कानून वापस होना चाहिए. सरकार संशोधन की कोशिश में लगी है. सरकार ने विचार को लिए एक दिन का वक्त मांगा है. कल सुबह 11 बजे सभी किसान संगठनों की बैठक होगी. “

किसान आंदोलन में खालिस्तानी, जिहादी, देश विरोधी गिरोहों की घुसपैठ !

न्यूज डेस्क: कृषि कानून को लेकर देश भर में शांति है लेकिन कांग्रेस शासित पंजाब के किसान दिल्ली आकर अशांति फैलाना चाहते हैं. इन कथित किसानों ने रास्ते में जमकर उत्पात मचाया. सोशल मीडिया पर कई फोटो और वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिनमें दिख रहा है कि आंदोलनकारियों में खालिस्तान समर्थक, जिहादी और देश विरोधी मानसिकतावाले लोग भी शामिल हैं जो किसानों को सरकार के खिलाफ भड़का रहे हैं.

इसी तरह का एक वीडियो सामने आया है जिसमें एक तथाकथित किसान द्वारा स्पष्ट तौर पर यह कहते हुए सुना जा सकता है कि जैसे इंदिरा गाँधी को ठोका वैसे ही नरेंद्र मोदी को भी ठोक देंगे. इसी वीडियो के अगले हिस्से में लोगों को यह कहते हुए भी सुना जा सकता है कि सरकार के साथ 3 दिसंबर को होने वाली बैठक में कोई नतीजा नहीं निकलता है. तब वहाँ मौजूद लोगों के पास बैरीकेडिंग तोड़ने और हिंसक होने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचेगा. ज़मीन पर हो रहे प्रदर्शन के अलावा सोशल मीडिया पर भी किसान आंदोलन को लेकर काफी प्रतिक्रिया सामने रही हैं. एक पंजाबी मीडिया समूह द्वारा साझा किए गए वीडियो में तमाम यूज़र्स ने टिप्पणी की है और टिप्पणी में वह इस आंदोलन को हिंसक बनाने की बात कह रहे हैं.

नजीर मोहम्मद बना सिख


एक अन्य वायरल फोटो में दिख रहा है कि किसान आंदोलन में कुछ लोग जालीदार टोपी वाले दिखाई दे रहे हैं. किसानों के लिए मस्जिदों से खाने दिए जा रहे हैं. इसके साथ ही नजीर मोहम्मद जैसे लोग सिखों वाली पगड़ी बांधकर किसानों के आंदोलन में शामिल हो गए हैं. शाहीन बाग में बैठने वाली वृद्ध मोमिना इस बार किसान बनने की नौटंकी कर इस आंदोलन में पंजाब से आई एक सिख वृद्धा बनने का स्वांग रच रही है. इनके हथकंडे वही शाहीन बाग वाले हैं. आरोप लगाये जा रहे हैं कि कांग्रेस की शह पर किसान आंदोलन में खालिस्तान समर्थन जुटे हुए हैं. देश विरोधी नारे लगाए जा रहे हैं. सोशल मीडिया पर वायरल कुछ तस्वीरों से इन शंकाओं को बल मिलता है कि किसान आंदोलन के बहाने कोई बड़ी साजिश तो नहीं. आंदोलन के बारे में सोशल मीडिया पर कहा जा रहा है कि वे भटके हुए भ्रमित लोग हैं. राजनीतिक दलों ने उन्ंहें भड़काया है. कुछ तो उन्ंहें खालिस्तानी और देशद्रोही भी कहते नजर आ रहे हैं.

किसान आंदोलन में पहुंची शाहीन बाग की दादी बिल्किस बानो, गिरफ्तार

नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर प्रोटेस्ट का चेहरा और शाहीन बाग की दादी बिल्किस बानो को सिंघु बॉर्डर पर दिल्‍ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. वह आज किसान आंदोलन का समर्थन करने सिंघु बॉर्डर पहुंची थीं. इससे पहले बिल्किस बानो ने कहा था कि हम किसानों की बेटियां हैं और हम आज किसानों के विरोध का समर्थन करेंगे. हम अपनी आवाज उठाएंगे, सरकार को हमारी बात सुननी चाहिए.

दरअसल, पिछले कई दिनों से उत्‍तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के किसान संगठन केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्‍ली के टिकरी, गाजीपुर और सिंघू बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. जबकि पुलिस ने किसानों के दिल्ली चलो के आह्वान के मद्देनजर सीमा पर एहतियात के तौर पर वाहनों की जांच तेज कर दी है. वैसे टिकरी, सिंघू और गाजीपुर बॉर्डर के अलावा दिल्ली को हरियाणा और उत्तर प्रदेश से जोड़ने वाले किसी अन्य सीमा क्षेत्र से विरोध प्रदर्शन की खबर नहीं है. एहतियात के तौर पर दिल्ली गुड़गांव सीमा पर भी सुरक्षा बलों की तैनाती मजबूत कर दी गई है.

शाहीन बाग से सुर्खियों में आईं थीं बिल्किस दादी

ऐसा नहीं है कि बिल्किस दादी नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में चले प्रदर्शन के दौरान केवल खास मौकों पर ही नजर आई थीं. वे सुबह से लेकर रात तक ही धरना देती दिखाई दी थीं. उन्होंने इस विरोध पर अंत समय तक बने रहने की बात की थी. बिल्किस दादी के नाम से मशहूर बिल्किस बानो उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर की रहने वाली हैं, लेकिन वे फिलहाल अपने बच्चों के साथ दिल्ली में रह रही हैं. उनके पति खेती मजदूरी किया करते थे जो अब इस दुनिया में नहीं हैं. यही नहीं, प्रदर्शन के दौरान बिल्किस दादी ने बताया था कि उन्होंने अपनी जिंदगी में कभी किसी राजनैतिक आंदोलन में भाग नहीं लिया था. इससे पहले वे केवल एक घरेलू महिला हुआ करती थीं. उन्होंने पहले कभी अपना घर नहीं छोड़ा. लेकिन इस प्रदर्शन में उनका खाना सोना धरना स्थल पर ही होता था. उनका कहना था कि वे केवल कुछ समय के लिए कपड़े बदलने घर जाती थीं.

किसानों संग मंत्रियों की बैठक बेनतीजा, चाय के बदले जलेबी का ऑफर

न्यूज डेस्क: केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली में जमे किसानों और सरकार के तीन मंत्रियों के बीच करीब साढ़े तीन घंटे तक बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकल पाया. हालांकि दोनों पक्षों के बीच खुशनुमा माहौल रहा. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने जब किसानों के प्रतिनिधियों को चाय ऑफर किया तो उन्होंने कहा कि हमारे यहां आकर जलेबी और लंगर चखिये. मंगलवार को विज्ञानभवन में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर सहित तीन मंत्रियों और किसान संगठनों के 30 से अधिक प्रतिनिधियों में मंथन के बाद केवल इतना तय हो पया है कि 3 दिसंबर को दोनों पक्षों में फिर बातचीत होगी. किसान नेताओं ने यह भी साफ कर दिया है कि धरना प्रदर्शन जारी रहेगा. सरकार ने किसानों द्वारा उठाए गए मुद्दों पर गौर करने के लिए एक समिति गठित करने की पेशकश की है.

सूत्रों ने कहा कि किसान प्रतिनिधियों के साथ सरकार की तरफ से रखे गए इस प्रस्ताव का जवाब किसान संगठनों के प्रतिनिधियों की ओर से नहीं आया है. लेकिन वे सभी किसान प्रतिनिधि नए तीनों कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने की मांग को लेकर एकमत हैं. किसान प्रतिनिधियों की राय में ये कानून कृषक समुदाय के हित के खिलाफ हैं.

किसान संगठनों के साथ बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि बैठक अच्छी रही और हमने फैसला लिया है कि फिर से 3 दिसंबर को बातचीत होगी. उन्होंने कहा, ”हम चाहते थे कि एक छोटा सा समूह बनाया जाए, लेकिन किसान नेता चाहते हैं कि सभी से बातचीत हो. हमें इससे कोई समस्या नहीं है.” बीकेयू (एकता उगराहां) अध्यक्ष जोगिंद्र सिंह उगराहां ने कहा कि सरकार की प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के साथ बातचीत बेनतीजा रही है.

केंद्रीय मंत्रियों और 30 से अधिक किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच बैठक के बीच सरकार ने विश्वास जताया कि वह आंदोलनकारी किसानों द्वारा उठाये गये मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के बाद किसी समाधान पर पहुंचेगी. विज्ञान भवन में बैठक के लिए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ रेल और वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्यमंत्री सोम प्रकाश मौजूद थे. बैठक से कुछ घंटे पहले केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, अमित शाह, नरेन्द्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल और भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने केंद्र के नए कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध प्रदर्शन पर लंबी चर्चा की.

मंत्री ने चाय ऑफर किया तो किसानों ने कहा जलेबी खाने आइये

एमएसपी पर प्रजेंटेशन के बाद मंत्रियों ने बैठक में टी-ब्रेक लिया और किसान नेताओं को चाय ऑफर की. इस दौरान एक किसान ने खड़े होकर कहा कि बॉर्डर पर आकर जलेबी और लंगर में शामिल होइए. किसानों ने सरकार के चाय के ऑफर को ठुकरा दिया. बताया जा रहा है कि सरकार ने किसान नेताओं को कमेटी बनाने का प्रस्ताव दिया है, जो मौजूदा कानून की समीक्षा करेगी. अब किसान नेताओं को इस पर फैसला करना है.