हिन्दू राष्ट्र

अफवाह नहीं हकीकत

प्रधानमंत्री मोदी ने गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब में सिक्ख गुरु तेगबहादुर को नमन किया

सिक्खों के नौंवे गुरु तेगबहादुर जी की पुण्यतिथि पर बिना किसी औपचारिक तामझाम या पूर्व घोषणा के एक आम हिन्दू के रुप में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब पहुँचे और गुरु के सामने शीश नवा कर उनका आशीर्वाद लिया.
क्रूर निर्दयी मुसलमान शासक औरंगबेज हिन्दुओं पर अत्यधिक अत्याचार करने के लिए जाना जाता है. उसने कश्मीर के हिन्दुओं पर अत्याचार की अति कर दी थी. ऐरी परिस्थिति में नौंवे सिख्ख गुरु तेगबहादुर ने उनकी रक्षा करने का संकल्प लिया. गुरु तेगहादुर के प्रयासों से कश्मीरी हिन्दुओं में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ता देख औरंगजेब ने छल रच कर वार्चालाप के लिए दिल्ली आने का संदेशा भेजा.
जब गुरु तेगबहादुर दिल्ली आए तो उनको साथियों समेत गिरफ्तार कर लिया गया. उनके साथी भाई मति दास को टुकड़े टुकड़े कर दिया गया पर वह मुसलमान बनने को तैयार नहीं हुए. उनके बाद भाई दयाल दास को खौलते पानी की कढ़ाही में जीते जी उबाला गया पर उन्होंने मुसलमान होना स्वीकार नहीं किया. गुरु तेगबहादुर के तीसरे साथी भाई सती दास को भी मुसलमान होना अस्वीकार करने पर जिन्दा जला दिया गया. ये सारे अत्याचार एक खिड़की से देखने के लिये कैदी गुरु तेगबहादुर को विवश किया गया जिससे उनका साहस टूटे और बह मुसलमान होना स्बीकार कर लें. पर गुरु तेग बहादुर ने तब भी अपना धर्म नहीं त्यागा. इसके बाद मुसलमान अत्याचारी औरंगजेब के आदेश पर 54 वर्ष के गुरु तेगबहादुर का शीश 19 दिसम्बर 1675 के दिन सार्वजनिक रुप से धड़ से अलग कर दिया गया था.

खरमास में कल्पवास और सूर्यदेव की पूजा से मिलता है विशेष फल

न्यूज डेस्क: खरमास को पौष मास भी कहते हैं. इस महीने में दान-तप आदि किया जाता है. जब सूर्य देव गुरु की राशि धनु या मीन में विराजमान रहते हैं, उस समय को खरमास कहा जाता है. इस महीने दिसंबर में 14 तारीख से खरमास शुरू हो रहे हैं. पौष माह में कल्पवास का विधान किया गया है. कल्पवास का अर्थ है कि संगम के तट पर निवास कर वेदाध्ययन और ध्यान तथा साधना करना. इसके बाद मकर संक्रांति के दिन संगम में स्नान किया जाता है. पौष खरमास का मास है, जिसमें किसी भी तरह के मांगलिक कार्य, विवाह, यज्ञोपवीत या फिर किसी भी तरह के संस्कार नहीं किए जाते हैं. तीर्थ स्थल की यात्रा करने के लिए खरमास सबसे उत्तम मास माना गया है.

खरमास की प्रचलित कथा

इस कथा के अनुसार सूर्यदेव अपने सात घोड़ों के रथ में भ्रमण कर रहे थे. घूमते घूमते अचानक उनके घोड़े प्यास से व्याकुल हो उठे. रास्ते में उन्हें एक तालाब दिखाई दिया. सूर्यदेव ने अपने रथ को रोक दिया और घोड़ों को पानी पिलाने लगे. पानी पीने के बाद घोड़े थकान से भर गए, तभी सूर्यदेव को स्मरण हुआ कि सृष्टि के नियमानुसार उन्हें निरंतर ऊर्जावान होकर चलते रहने का आदेश है.

इस बीच सूर्यदेव को तालाब के किनारे दो गधे दिखाई दिए. सूर्यदेव उन गधों को अपने रथ में जोतकर वहां से चल दिए. इस तरह सूर्यदेव इस पूरे माह मंद गति से गधों की सवारी से चलते रहे. इस समय उनका तेज भी कम हो गया. पुनः मकर राशि में प्रवेश करने के समय एक माह पश्चात वह अपने सातों घोड़ों पर सवार हुए.
कुंभ, अर्धकुंभ, महाकुंभ, सिंहस्थ और पूस एवं माघ माह की पूर्णिमा को नदी किनारे कल्पवास करने का विधान है. इस बार माघ पूर्णिमा से कल्पवास प्रारंभ हो रहा है. कल्पवास का अर्थ होता है संगम के तट पर निवास कर वेदाध्ययन, व्रत, संत्संग और ध्यान करना. कल्पवास पौष माह के 11वें दिन से माघ माह के 12वें दिन तक रहता है. कुछ लोग माघ पूर्णिमा तक कल्पवास करते हैं.

कल्पवास क्यों और कब 

प्राचीनकाल में तीर्थराज प्रयागराज में घना जंगल हुआ करता था. यहां सिर्फ भारद्वाज ऋषि का आश्रम ही हुआ करता था. भगवान ब्रह्मा ने यहां यज्ञ किया था. उस काल से लेकर अब तक ऋषियों की इस तपोभूमि पर कुंभ और माघ माह में साधुओं सहित गृहस्थों के लिए कल्पवास की परंपरा चली आ रही है. ऋषि और मुनियों का तो संपूर्ण वर्ष ही कल्पवास रहता है, लेकिन उन्होंने गृहस्थों के लिए कल्पवास का विधान रखा. उनके अनुसार इस दौरान गृहस्थों को अल्पकाल के लिए शिक्षा और दीक्षा दी जाती थी.

कल्पवास के नियम

इस दौरान जो भी गृहस्थ कल्पवास का संकल्प लेकर आता है ऋषियों की या खुद की बनाई पर्ण कुटी में रहता है. इस दौरान दिन में एक ही बार भोजन किया जाता है तथा मानसिक रूप से धैर्य, अहिंसा और भक्तिभावपूर्ण रहा जाता है. पद्म पुराण में इसका उल्लेख मिलता है कि संगम तट पर वास करने वाले को सदाचारी, शान्त मन वाला तथा जितेन्द्रिय होना चाहिए. कल्पवासी के मुख्य कार्य है:- 1.तप, 2.होम और 3.दान.

यहां झोपड़ियों (पर्ण कुटी) में रहने वालों की दिनचर्या सुबह गंगा-स्नान के बाद संध्यावंदन से प्रारंभ होती है और देर रात तक प्रवचन और भजन-कीर्तन जैसे आध्यात्मिक कार्यों के साथ समाप्त होती है. लाभ- ऐसी मान्यता है कि जो कल्पवास की प्रतिज्ञा करता है वह अगले जन्म में राजा के रूप में जन्म लेता है लेकिन जो मोक्ष की अभिलाषा लेकर कल्पवास करता है उसे अवश्य मोक्ष मिलता है.-मत्स्यपु 106/40

स्नान का महत्व

‘पद्मपुराण’ और ‘ब्रह्मवैवर्तपुराण’ में वर्णन मिलता है कि माघ पूर्णिमा पर स्वयं जगतपालक भगवान विष्णु गंगाजल में निवास करते हैं. इसलिए इस दिन गंगाजल का स्पर्शमात्र भी स्वर्ग की प्राप्ति देता है. पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु व्रत, उपवास, दान से भी उतने प्रसन्न नहीं होते, जितना अधिक प्रसन्न माघ स्नान करने से होते हैं. यही वजह है कि अनेक प्राचीन हिन्दू ग्रंथों में वैकुण्ठ को पाने का आसान रास्ता माघ पूर्णिमा के पुण्य स्नान को बताया गया है. विश्व से सबसे बड़े महाकाव्य महाभारत में उल्लेख है कि इन दिनों में अनेक तीर्थों का समागम होता है.
माघ माहात्म्य :
माघमासे गमिष्यन्ति गंगायमुनसंगमे.
ब्रह्माविष्णु महादेवरूद्रादित्यमरूद्गणा:..
अर्थात् ब्रह्मा, विष्णु, महादेव, रुद्र, आदित्य तथा मरूद्गण माघ मास में प्रयागराज के लिए यमुना के संगम पर गमन करते हैं.
प्रयागे माघमासे तुत्र्यहं स्नानस्य यद्रवेत्.
दशाश्वमेघसहस्त्रेण तत्फलं लभते भुवि..
प्रयाग में माघ मास के अन्दर तीन बार स्नान करने से जो फल होता है वह फल पृथ्वी में दस हजार अश्वमेघ यज्ञ करने से भी प्राप्त नहीं होता है.

कल्पवास के लाभ

कल्पवास के दौरान भोर में उठना, पूजा-पाठ करना. दिन में दो बार स्नान और सिर्फ एक बार सात्विक भोजन के साथ बीच में फलाहार करना शरीर के लिए बहुत ही लाभकारी होता है. इससे शरीर के भीतर जमा गंदगी बाहर निकल जाती है और फिर से नवजीवन प्राप्त होता हैं. चिकित्सकों की नजर में कल्पवास से न सिर्फ मनुष्य के शरीर का पाचन तंत्र अनुशासित होता है बल्कि खुद को स्वस्थ रखने का भी यह सबसे बेहतर माध्यम है.

बीमारियों से मु‍क्ति 

आयुर्वेद, यूनानी, और प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति में कल्पवास का खास महत्व है. चिकित्सकों का मानना है कि कल्पवास के दौरान की दिनचर्या व सात्विक खानपान से शरीर को कई बीमारियों से मुक्ति मिलती है. आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा में कल्पवास का बड़ा महत्व है. आयुर्वेद के पंचकर्मों के विधि में कल्पवास भी शामिल है. प्राकतिक चिकित्सा में भी व्रत और उपवास का महत्व बताया गया है. इसे शरीर में ऊर्जा का संचार होता है. सारी चिंताएं दूर हो जाती हैं. एलोपैथ चिकित्सक भी यही सलाह देते हैं कि संयम और संतुलन, नियमित व सीमित खानपान, व्रत और उपवास आदि से पेट की बीमारी और मोटापा जैसे रोग को भगाया जा सकता है. इससे शरीर फुर्तीला होता है.

कल्पवास पर शोध 

कुछ वर्ष पहले हुए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि धार्मिक समागमों में भाग लेने के कारण ‘समान पहचान’ तथा ‘प्रवृत्ति में प्रतिस्पर्धा के बदले सहयोग की भावना’ आने से लोगों में तंदुरुस्ती की भावना और सुख की अनुभूति बढ़ जाती है. यह निष्कर्ष भारत और ब्रिटेन के नौ विश्वविद्यालयों के मनोचिकित्सकों द्वारा किए गए एक अध्ययन में सामने आया. अध्ययन में पांच भारतीय विश्वविद्यालयों एवं चार ब्रिटिश विश्वविद्यालय के मनोचिकित्सक शामिल थे.

अध्ययन के बारे में डंडी विश्वविद्यालय के निक हॉप्किंस ने कहा था कि हमने गंगा-यमुना नदी के तट पर होने वाले वार्षिक माघ मेले में श्रद्धालुओं द्वारा किए जाने वाले तप कल्पवास का अध्ययन किया है. सेंट एंड्रयू विश्वविद्यालय के स्टीफन रिएचर ने कहा कि एक माह तक कठोर एवं बार-बार दोहराई जाने वाली दिनचर्या के कारण कल्पवासियों के रवैए में अस्थायी तौर पर ही सही, बदलाव आता है.

उनका रवैया प्रतिस्पर्धा के बजाय सहयोगात्मक हो जाता है. यह रवैया रेलवे स्टेशन की भीड़ से ठीक विपरीत होता है जहां हर कोई अपनी जगह सुरक्षित करने की फिराक में होता है और हर किसी को धक्का देने को तैयार रहता है. इस तरह के समागमों में भीड़ के अनूठे व्यवहार के मूल में यह बात होती है कि वे अन्य लोगों के बारे में ऐसा सोचते हैं कि वे भी हममें से एक हैं. किसी दूसरे व्यक्ति को अपने में से एक मान लेने की सोच से ही अन्य के प्रति अपने व्यवहार में बदलाव आ जाता है, भले ही वह पूरी तरह से अपरिचित हो.

रिएचर ने कहा कि यही बात संभवत: इस तथ्य का स्पष्टीकरण है कि इस तरह के समागमों से जुड़ी साफ-सफाई की स्थिति और ध्वनि प्रदूषण के बावजूद तीर्थयात्रियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता. हालांकि लॉसेंट जैसी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं ने अपने कई आलेखों में इस तरह के समागमों को स्वास्थ्य के लिए खराब बताया है. उन्होंने कहा कि निस्संदेह मेले के कारण स्वास्थ्य के लिए वास्तविक जोखिम उत्पन्न होते हैं और उनकी अनदेखी करना गलत होगा, लेकिन यह कहानी का केवल एक पक्ष है. निश्चित तौर पर हमारे अध्ययन का यह सबसे महत्वपूर्ण निष्कर्ष निकला कि मेले में भागीदारी करने से लोगों का शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य बेहतर हो जाता है. बेलफास्ट के क्वींस विश्वविद्यालय के क्लिफफोर्ड स्टीवनसन ने कहा कि मेले से हम मानव की तंदुरुस्ती के बारे में बहुत कुछ सीख सकते हैं.

हिन्दू लड़की से मुस्लिम लड़के की शादी पुलिस ने मंडप में रुकवायी

न्यूज डेस्क: उत्तर प्रदेश में गैर-कानूनी धर्मांतरण को रोकने के लिए योगी आदित्यनाथ की सरकार की ओर से पेश किए गए अध्यादेश के कानून बनने के बाद राजधानी लखनऊ में पुलिस ने एक मुस्लिम युवक और हिंदू लड़की की शादी रोक दी. पुलिस ने शादी को रोकने के लिए नए अध्यादेश का हवाला दिया. यह शादी बुधवार को लखनऊ के पारा इलाके में हो रही थी, रस्में शुरू होने से कुछ मिनट पहले ही पुलिस विवाह स्थल पर पहुंची और दोनों पक्षों को अपने साथ पुलिस थाने चलने के लिए कहा.

लखनऊ पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी सुरेश चंद्र रावत ने मीडिया को बताया, “2 दिसंबर को हमें सूचना मिली थी कि एक समुदाय की लड़की दूसरे समुदाय के लड़के के साथ शादी करना चाहती है. हमने दोनों पक्षों को पुलिस थाने में बुलाया और उन्हें गैर-कानूनी धर्मांतरण पर नए अध्यादेश की प्रति दी. दोनों पक्षों ने लिखित में सहमति जताई है कि कानून के मुताबिक, डीएम (जिलाधिकारी) को इस संबंध में सूचित करने और उनकी मंजूरी मिलने के बाद ही हम शादी को लेकर आगे बढ़ेंगे.

सहमति से हो रही थी शादी

लड़की और लड़के के परिवार ने ऑन रिकॉर्ड कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. हालांकि, सूत्रों ने कहा कि शादी दोनों परिवारों की सहमति से हो रही थी और दोनों परिवारों को इसकी जानकारी थी. इसमें कोई जबरदस्ती शामिल नहीं है. सूत्रों ने कहा कि कानूनी जरूरतों को पूरा करने के बाद दोनों परिवार शादी के कार्यक्रम को आगे बढ़ाएंगे.

“गैर कानूनी धर्मांतरण विधेयक” के प्रावधानों के तहत, लालच, झूठ बोलकर या ज़ोर ज़बरदस्ती किये गए धर्म परिवर्तन या शादी के लिए किए गए धर्म परिवर्तन को अपराध माना जाएगा. नाबालिग, अनुसूचित जाति, जनजाति की महिला के धर्म परिवर्तन पर कड़ी सजा होगी. सामूहिक धर्म परिवर्तन कराने वाले सामाजिक संगठनों के खिलाफ कार्रवाई होगी. धर्म परिवर्तन के साथ अंतर धार्मिक शादी करने वाले को साबित करना होगा कि उसने इस कानून को नही तोड़ा है. लडक़ी का धर्म बदलकर की गई शादी को शादी नही माना जायेगा.

इसके अलावा, ज़बरदस्ती प्रलोभन से किया गया धर्म परिवर्तन संज्ञेय और गैर जमानती अपराध होगा. इस कानून को तोड़ने पर कम से कम 15 हज़ार रुपये जुर्माना और एक से पांच साल तक की सज़ा होगी. धर्म परिवर्तन के लिए तयशुदा फॉर्म भरकर दो महीने पहले डीएम को देना होगा,इसे न मानने पर छह महीने से तीन साल की सज़ा और कम से कम दस हज़ार रुपये जुर्माना होगा.

कोरोना वैक्सीन के मामले में दुनिया में भारत बना नंबर वन

न्यूज डेस्क: कोरोना के टीके को लेकर भारत विश्व का अग्रणी राष्ट्र बन गया है. भारत में कोरोना वैक्सीन की खरीद से लेकर भंडारण और वितरण तक का खाका तैयार है. अब तक जो आंकड़े सामने आए हैं, उसके मुताबिक कोरोना वायरस वैक्सीन की बुकिंग के मामले में भारत दुनियाभर में नंबर वन पर है. 30 नवंबर तक के आंकड़ों के अनुसार, कोरोना वैक्‍सीन की ‘कन्‍फर्म डोज’ के बुकिंग के मामले में भारत दुनियाभर में शीर्ष स्थान पर है. भारत अब तक कोरोना वैक्सीन की 160 करोड़ कन्फर्म डोज का ऑर्डर दे चुका है.

ड्यूक यूनिवर्सिटी के लॉन्च एंड स्केल स्पीडोमीटर के आंकड़ों के मुताबिक, भारत ने सबसे अधिक कोविड-19 वैक्सीन ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की बुक की है. भारत ने ऑक्‍सफोर्ड-एस्‍ट्राजेनेका की वैक्‍सीन की 500 मिलियन डोज (50 करोड़) का ऑर्डर दिया है. भारत के साथ-साथ अमेरिका ने भी इतनी डोज का ऑर्डर दिया है. अमेरिका ने भी ऑक्‍सफोर्ड-एस्‍ट्राजेनेका की वैक्‍सीन के 500 मिलियन डोज का आर्डर दिया है. ऑक्‍सफोर्ड-एस्‍ट्राजेनेका की वैक्‍सीन को भारत, अमेरिका के अलावा यूरोपीय यूनियन समेत कई देशों ने बुक कर रखा है.

किससे कितनी वैक्सीन खरीद रहा कौन

ऑक्‍सफोर्ड-एस्‍ट्राजेनेका की वैक्सीन: भारत ने इसके 500 मिलियन डोज (50 करोड़) की बुकिंग की है. भारत के जितने ही अमेरिका ने भी वैक्सीन का ऑर्डर दिया है. वहीं यूरोपीय यूनियन ने 400 मिलियन डोज की बुकिंग की है. ब्रिटेन की बात करें तो इसने 100 मिलियन वैक्सीन के डोज की बुकिंग की है और कनाडा ने 20 मिलिनय का ऑर्डर दिया है. ड्यूक यूनिवर्सिटी ने जो आंकड़ा जारी किया है, उसमें सिर्फ ऑक्‍सफोर्ड-एस्‍ट्राजेनेका की ही एकमात्र वैक्सीन है, जिसका ऑर्डर लगभग सभी ने दिया है. इन देशों को मिलाकर देखें तो सबसे अधिक 1.5 बिलियन (150 करोड़) वैक्सीन डोज ऑक्सफोर्ड की ही बुक हैं. बता दें कि इस वैक्सीन का ट्रायल भारत में सीरम इंस्टीट्यूट कर रहा है.

नोवावैक्स की वैक्सीन: भारत ने नोवावैक्स को वैक्सीन की 1 बिलियन डोज का ऑर्डर दिया है. हालांकि, अमेरिका इससे वैक्सीन नहीं खरीद रहा है. यूरोपीय यूनियन ने 110 मिलियन डोज का ऑर्डर दिया है, वहीं कनाडा ने 76 मिलिनय और ब्रिटेन ने 60 मिलिनय वैक्सीन के डोज का ऑर्डर दिया है. इस तरह से इसे कुल 1.2 बिलियन वैक्सीन का ऑर्डर मिला है.

गमालेया की स्पुतनिक-5 वैक्सीन: भारत ने रूसी कोरोना वैक्‍सीन स्पुतनिक-V वैक्‍सीन की 100 मिलियन यानी 10 करोड़ डोज बुक कर रखी है. फिलहाल रूसी वैक्सीन का अंतिम ट्रायल भारत में हो रहा है और इसका हैदराबाद की डॉ रेड्डी के साथ ट्रायल के लिए समझौता हुआ है. रूस की वैक्सीन को भारत के अलावा, अब तक किसी देश ने बुक नहीं किया है. बता दें कि स्पुतनिक-5 को गामलेया रिसर्च इंस्टिट्यूट ने विकसित किया है, जिसे लेकर अगस्त में ऐलान हुआ था.

सनोफी-जीएसके की वैक्सीन: भारत ने कोरोना वैक्सीन को लेकर इससे अब तक कोई करार नहीं किया है. हालांकि, अमेरिका, यूरोपीय यूनियन, कनाडा और ब्रिटेन ने इसके वैक्सीन की डोज का ऑर्डर दे रखा है.

फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन: ब्रिटेन ने फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन को अपने देश में मंजूरी दे दी है और इसके 40 मिलियन डोज का ऑर्डर भी दे रखा है. हालांकि, भारत ने इसक वैक्सीन की बुकिंग अभी तक नहीं की है. अमेरिका ने 100 मिलियन यानी 10 करोड़ डोज की बुकिंग की है. वहीं, यूरोपीय यूनियन ने 300 मिलियन और कनाडा ने 20 मिलियन ने ऑर्डर दे रखा है. इस तरह से इस कंपनी के वैक्सीन की 460 मिलियन डोज की बुकिंग हो चुकी है.

मॉडर्ना की वैक्सीन: वैक्सीन कैंडिडेट्स मॉडर्ना भी रेस में आगे चल रही है, मगर भारत ने अब तक इसके कन्फर्म वैक्सीन की बुकिंग नहीं की है. हालांकि, यूरोपीय यूनियन ने 160 मिलियन डोज का ऑर्डर दिया है और कनाडा ने 56 मिलियन का. मगर यहां यह भी जानने वाली बात है कि अमेरिका ने भी इसकी बुकिंग नहीं की है.

यहां ध्यान देने वाली बात है कि ये सभी वैक्सीन के ऑर्डर कन्फर्म वैक्सीन को लेकर हैं. जब इन सबकी वैक्सीन पूरी तरह से ग्लोबली मंजूर हो जाएगी, तब ये सभी कंपनियां ऑर्डर के हिसाब से उन देशों को सप्लाई करेंगी, जिन्होंने पहले से बुक कर रखा है. इस तरह से अगर आंकड़ों पर गौर किया जाए तो भारत अब तक दुनियाभर में सबसे अधिक 1.6 बिलियन यानी 60 करोड़ वैक्‍सीन का ऑर्डर दे चुका है.

UP MLC Chunav Results: जानिए कौन कहां से जीता

न्यूज डेस्क: उत्तर प्रदेश में विधान परिषद की 11 सीटों के लिए हुए चुनाव में बरेली-मुरादाबाद, मुरादाबाद व मेरठ शिक्षक खंड सीट पर भाजपा के प्रत्याशी विजयी हुए हैं. विधान परिषद की बरेली-मुरादाबाद खण्ड निर्वाचन क्षेत्र सीट पर भाजपा प्रत्याशी हरि सिंह ढिल्लों चुनाव जीत गये हैं. उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी सपा प्रत्याशी संजय मिश्र को 4864 मतों के अंतर से हराया. श्री ढिल्लों को प्रथम वरीयता के 12827 वोट मिले जबकि सपा प्रत्याशी संजय मिश्र को 4864 मत प्राप्त हुए. राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय ने इस परिणाम की पुष्टि की है.

मेरठ : मेरठ खंड शिक्षक सीट पर भाजपा प्रत्याशी श्रीचंद शर्मा ने सभी वरीयता के मतों की गणना के बाद सर्वाधिक 8222 मत प्राप्त किए. उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी आठ बार के विधानपरिषद सदस्य ओमप्रकाश शर्मा को महज 3305 वोट मिले. अनुमान है कि इस संबंध में शुक्रवार को ही आयोग द्वारा स्थिति स्पष्ट की जाएगी.

लखनऊ: शिक्षक लखनऊ खंड निर्वाचन से भाजपा के उमेश द्विवेदी विजयी हुए हैं. उन्हें कुल 7065 मत मिले, जबकि दूसरे नंबर पर निर्दलीय डॉ. महेंद्रनाथ राय से रहे. कुल 17985 मतों में से 17077 वैध मतों की गिनती में गिनती में उमेश द्विवेदी को 7065 वोट मिले. एमएलसी वाराणसी खंड शिक्षक कोटे की सीट पर सपा के लाल बिहारी यादव विजयी रहे. उन्होंने प्रतिद्वंद्वी शिक्षक नेता ओम प्रकाश शर्मा गुट के डा प्रमोद कुमार मिश्र को 418 वोट से शिकस्त दी. लाल बिहारी को 7248 वोट तो वहीं मिश्र को 6830 वोट मिले.

झांसी-प्रयागराज स्नातक एमएलसी सीट पर 10 राउंड की गिनती पूरी. सपा के मानसिंह यादव 2500 वोटों से आगे, उन्हें 19421 मत मिले. भाजपा के यज्ञदत्त शर्मा को मिले 16888 वोट. सपा 2533 वोटों से आगे. तीसरे स्थान पर निर्दलीय उम्मीदवार हरिप्रकाश को मिले 7937 वोट. अब होगी दूसरी वरीयता के मतों की गिनती.

गोरखपुर-फैजाबाद खंड शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के 2020 के चुनाव में भी बाजी मारते हुए उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ (शर्मा गुट) के प्रत्याशी ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने जीत की हैट्रिक लगाई है. इस सीट पर लगातार तीन बार जीतने वाले वह पहले प्रत्याशी बन गए हैं. उन्होंने अपने निकतटम प्रतिद्वंद्वी अजय सिंह को 1008 मतों से पराजित किया. ध्रुव को 10227 जबकि अजय सिंह को 9219 वोट मिला.

वाराणसी: एमएलसी वाराणसी खंड शिक्षक व स्नातक सीट की मतगणना गुरुवार देर रात तक जारी रही. रात डेढ़ बजे तक शिक्षक सीट पर सपा के लाल बिहारी यादव सातवें चक्र की गिनती में अपने प्रतिद्वंद्वी शिक्षक नेता डा. प्रमोद कुमार मिश्र (ओम प्रकाश शर्मा गुट) से 510 वोट से आगे चल रहे थे. लाल बिहारी को 6205 वोट तो वहीं प्रमोद मिश्र को 5695 वोट मिले थे. निवर्तमान एमएलसी चेतनारायण सिंह 4236 वोट पाकर तीसरे स्थान पर चल रहे थे. वहीं, वहीं, एमएलसी स्नातक सीट पर भी देर रात मतगणना शुरू हुई. इसमें भी सपा के आशुतोष सिन्हा सबसे आगे थे.

वहीं आगरा के स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय आकाश अग्रवाल 5798 वोट लेकर सबसे आगे थे. भाजपा के दिनेश वशिष्ठ 3685 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर थे. जगवीर किशोर जैन 2952 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर हैं. निर्दलीय गुमान सिंह यादव 2288 वोट लेकर चौथे स्थान पर थे, जबकि सपा के हेवेंद्र सिंह 1509 वोटों संग पांचवें स्थान पर चल रहे थे.

बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा की जंग

बीजेपी के लिए नतीजे काफी अहम हैं. पार्टी विधान परिषद में संख्या बल बढ़ाना चाहती है. 100 सदस्यों के सदन में अभी बीजेपी के 19 प्रतिनिधि ही हैं, जबकि समाजवादी पार्टी के पास 52 का संख्याबल है. स्नातक निर्वाचन में बीजेपी ने लखनऊ से अवनीश सिंह पटेल, वाराणसी से केदारनाथ सिंह, आगरा से मानवेंद्र सिंह, मेरठ से दिनेश गोयल और इलाहाबाद-झांसी से डॉ. यज्ञदत्त शर्मा को उतारा है. दूसरी और शिक्षक निर्वाचन में पार्टी ने लखनऊ से उमेश द्विवेदी, आगरा से दिनेश वशिष्ठ, मेरठ से शिरीष चंद्र शर्मा और बरेली-मुरादाबाद से हरि सिंह ढिल्लो को उतारा है. इसके साथ ही वाराणसी सीट पर चेतनारायण सिंह और गोरखपुर-फैजाबाद सीट पर अजय सिंह को बीजेपी ने समर्थन दिया है. समाजवादी पार्टी ने सभी 11 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं. इससे पहले के चुनावों में ओम प्रकाश शर्मा के नेतृत्व वाले उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ की तूती बोलती रही है.

11 एमएलसी सीटों पर हुआ चुनाव

खंड शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र- लखनऊ, आगरा, मेरठ, वाराणसी, बरेली-मुरादाबाद, गोरखपुर-फैजाबाद. खंड स्नातक निर्वाचन क्षेत्र- लखनऊ, आगरा, मेरठ, वाराणसी और इलाहाबाद-झांसी. खंड शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र में 2 लाख 6 हजार 335 वोटर, खंड स्नातक निर्वाचन क्षेत्रों में 12 लाख 69 हजार 817 वोटर हैं.

ऐसे चुने जाते हैं विधान परिषद के सदस्य

उत्तर प्रदेश विधान परिषद में 100 सीटें हैं. विधान परिषद में एक तय सीमा तक सदस्य होते हैं. विधानसभा के एक तिहाई से ज्यादा सदस्य विधान परिषद में नहीं होने चाहिए. मसलन यूपी में 403 विधानसभा सदस्य हैं. यानी यूपी विधान परिषद में 134 से ज्यादा सदस्य नहीं हो सकते हैं. इसके अलावा विधान परिषद में कम से कम 40 सदस्य होना जरूरी है. एमएलसी का दर्जा विधायक के ही समकक्ष होता है. विधान परिषद के सदस्य का कार्यकाल छह साल के लिए होता है. चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम 30 साल उम्र होनी चाहिए. एक तिहाई सदस्यों को विधायक चुनते हैं. इसके अलावा एक तिहाई सदस्यों को नगर निगम, नगरपालिका, जिला पंचायत और क्षेत्र पंचायत के सदस्य चुनते हैं. वहीं, 1/12 सदस्यों को शिक्षक और 1/12 सदस्यों को रजिस्टर्ड ग्रैजुएट चुनते हैं. यूपी में विधान परिषद के 100 में से 38 सदस्यों को विधायक चुनते हैं. वहीं 36 सदस्यों को स्थानीय निकाय निर्वाचन क्षेत्र के तहत जिला पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य (BDC) और नगर निगम या नगरपालिका के निर्वाचित प्रतिनिधि चुनते हैं. 10 मनोनीत सदस्यों को राज्यपाल नॉमिनेट करते हैं. इसके अलावा 8-8 सीटें शिक्षक निर्वाचन और स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के तहत आती हैं.

लव जिहाद: हिंदू लड़की पर धर्म परिवर्तन का दबाव बनानेवाला ओवैस गिरफ्तार

न्यूज डेस्क: विवाह के लिए हिंदू लड़की पर धर्म परिवर्तन का दबाव बनाने के आरोपी युवक को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. हाल में उत्तर प्रदेश में पारित कानून के तहत यह पहली गिरफ्तारी है. यह घटना बरेली की है. बरेली के पुलिस उपमहानिरीक्षक राजेश कुमार पांडेय ने इस संबंध में जानकारी देते हुए युवक की गिरफ्तारी की सूचना दी. पुलिस उपमहानिरीक्षक ने बताया कि बरेली जिले की बहेड़ी पुलिस ने रिछा रेलवे फाटक के पास से ओवैस नामक युवक को बुधवार को गिरफ्तार कर लिया.

विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020’ के तहत युवक के खिलाफ मामला दर्ज किया है. पांडे ने बताया,‘गिरफ्तारी के बाद ओवैस को पुलिस ने बहेड़ी सत्र अदालत में पेश किया, जहां से उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.’

बरेली के प्रभारी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संसार सिंह ने गुरुवार को बताया,‘जिले के थाना देवरनिया के गांव शरीफ नगर में रहने वाली एक युवती का आरोप था कि ओवैस उसे तीन साल से परेशान कर रहा था और विवाह के लिए धर्म परिवर्तन का दबाव बनाता था.’

सिंह ने बताया कि युवती के परिजन ने जून 2020 में उसकी शादी किसी दूसरी जगह कर दी, इससे बौखलाया ओवैस अक्सर उसके पिता टीकाराम के घर पहुंच कर धमकी देता था. पिछले शनिवार को भी उसने टीकाराम को तमंचा दिखाकर जान से मारने की धमकी दी थी जिसके बाद उन्होंने ओवैस के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया.

स्‍टैचू ऑफ यूनिटी की टिकट बिक्री से मिले 5 करोड़ कहां गये जानिये

न्यूज डेस्क: सरदार पटेल की प्रतिमा स्‍टैचू ऑफ यूनिटी की टिकट बिक्री से जमा पैसों के गबन मामले में गुजरात पुलिस ने एक एफआईआर दर्ज की है. पैसे जमा करने वाली एजेंसी के कुछ कर्मचारियों पर आरोप है कि उन्‍होंने नवंबर 2018 से मार्च 2020 के बीच 5.24 करोड़ रुपये बैंक में जमा नहीं किए.

पुलिस उपाधीक्षक वाणी दूधत ने संवाददाताओं को बताया कि बैंक में स्टैचू ऑफ यूनिटी प्रबंधन के दो खाते हैं. बैंक ने नर्मदा जिले के केवडिया स्थित दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति के प्रबंधन से रोजाना नकद लेकर उसे अगले दिन बैंक में जमा कराने के लिए एक एजेंसी की सेवाएं ली थी. उन्होंने बताया, ‘पहली नजर में पता चला है कि एजेंसी के कुछ कर्मचारियों ने नवंबर 2018 से मार्च 2020 के बीच स्टैचू ऑफ यूनिटी प्रबंधन की 5,24,77,375 रुपये की राशि बैंक में जमा नहीं कराई.’

इसके बाद निजी बैंक के प्रबंधक ने सोमवार रात को केवडिया पुलिस थाने में नकदी जमा करने वाली एजेंसी के साथ-साथ अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है. पुलिस ने मामले में आईपीसी की धारा-420 (धोखाधड़ी), धारा-406 (विश्वास भंग) और धारा-120बी (आपराधिक साजिश) के तहत एफआईआर दर्ज की है. हालांकि, अबतक किसी की गिरफ्तारी नहीं की गई है.

इस बीच, स्टैचू ऑफ यूनिटी प्रबंधन ने बुधवार को कहा कि बैंक ने उसके खाते में 5.24 करोड़ रुपये जमा करा दिए हैं. प्रबंधन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बयान में कहा, ‘यह बैंक और नकद एकत्र करने वाली एजेंसी के बीच का मामला है. बैंक ने पहले ही हमारी राशि खाते में जमा करा दी है.’

देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की यह प्रतिमा दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है और इसे स्टैचू ऑफ यूनिटी के नाम से जाना जाता है. अक्टूबर 2018 में उद्घाटन के बाद से ही यह पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है. इस स्मारक के साथ बना चिल्ड्रेन न्यूट्रिशन पार्क और कैक्टस गार्डन अन्य आकर्षणों में एक है. इसके साथ ही नर्मना नदी में रिवर राफ्टिंग की सुविधा भी उपलब्ध है.

लॉकडाउन से पहले लोगों के पास ऑनलाइन के साथ-साथ टिकट खिड़की पर नकद देकर टिकट खरीदने का भी विकल्प मौजूद था. पिछले साल दिसंबर में गुजरात के मुख्यमंत्री नितिन पटेल ने विधानसभा को बताया कि स्टैचू ऑफ यूनिटी प्रबंधन ने एक नवंबर 2018 से 16 नवंबर 2019 के बीच 85.51 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त किया. हालांकि, नवंबर 2019 से मार्च 2020 के राजस्व संबंधी आंकड़े जारी नहीं किए गए हैं. इस मामले में दर्ज एफआईआर के मुताबिक, बैंक वर्ष 2003 से नकद को एकत्र कर जमा कराने के लिए एजेंसी की सेवाएं ले रहा था.

बैंक ने उसी एजेंसी को स्टैचू ऑफ यूनिटी प्रबंधन से, टिकटों की बिक्री से मिलने वाले नकद को लेकर उनके दो खातों में जमा कराने की जिम्मेदारी दी थी. उन्होंने बताया, ‘हाल में स्टैचू ऑफ यूनिटी के अधिकारियों ने लेखापरीक्षण किया और जमा पर्ची में दर्शाई राशि और खाते में जमा राशि में अतंर पाया जिसके बाद इस गबन का खुलासा हुआ.’

एलियन की जानकारी देनेवाला दुनिया का सबसे बड़ा एंटीना हुआ नष्ट

न्यूज डेस्क: दुनिया का सबसे ताकतवर और बड़ा एंटीना 450 फीट नीचे गिरकर टूट गया. इसके साथ ही दुनिया को एलियन ग्रहों और एस्टेरॉयड्स की खबरें देने वाली ऑब्जरवेटरी ने पूरी तरह काम करना बंद कर दिया है. मंगलवार को एंटीना के ऊपर पूरा का पूरा एक टावर और बाकी केबल गिर पड़े. इसकी वजह से डिश एंटीना जमीन पर गिर गया. पिछले महीने ही इसका एक केबल टूटने से एंटीना क्षतिग्रस्त हुआ था.

इस एंटीना के ऊपर जेम्स बॉन्ड सीरीज की मूवी गोल्डन आई की शूटिंग भी हुई थी. गोल्डन आई का क्लाइमैक्स सीन यहीं पर फिल्माया गया था. इस फिल्म में पियर्स ब्रॉसनन जेम्स बॉन्ड का किरदार निभा रहे थे. इसके अलावा इस ऑब्जरवेटरी में कई फिल्में, वेबसीरीज और डॉक्यूमेंट्रीज बन चुकी हैं. इसके अलावा जोडी फॉस्टर की फिल्म कॉन्टैक्ट की शूटिंग भी यहीं हुई थी. मंगलवार की रात इसके सारे केबल टूट गए और यह डिश एंटीना पर गिर पड़े, जिसकी वजह से पूरा का पूरा डिश एंटीना क्षतिग्रस्त हो गया. एंटीना के ऊपर लटका हुआ ढांचा भी गिर गया. जिससे काफी ज्यादा नुकसान हुआ है. ऑर्सीबो ऑब्जरवेटरी ने ट्वीट कर जानकारी दी कि विज्ञान की दुनिया के एक युग का अंत. ऑर्सीबो टेलीस्कोप टूट गया लेकिन इससे किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचा.

इस एंटीना को जब बनाया गया था तब इसका मकसद रक्षा प्रणाली को मजबूत करना था. इसके जरिए प्यूर्टो रिको एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम को मजबूत करना चाहता था. बाद में इसका उपयोग वैज्ञानिक कार्यों के लिए किया जाने लगा. इस एंटीना ने सिर्फ अंतरिक्ष से आने वाले खतरों की ही जानकारी नहीं दी है. बल्कि आसपास के देशों को कई प्राकृतिक आपदाओं की सूचनाएं भी मुहैया कराई हैं.

रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक प्यूर्टो रिको आर्सीबो ऑब्जरवेटरी (Arecibo Observatory) में ये एंटीना लगा हुआ था. यह एंटीना अंतरिक्ष की गहराइयों से आने वाले खतरों जैसे एस्टेरॉयड्स, मीटियॉर्स और एलियन दुनिया आदि की जानकारी दुनिया भर के वैज्ञानिकों को देता था. इस ऑब्जरवेटरी का संचालन एना जी मेंडेज यूनिवर्सिटी, नेशनल साइंस फाउंडेशन और यूनिवर्सिटी ऑफ फ्लोरिडा मिलकर करते हैं. इस ऑब्जरवेटरी को बनने में तीन साल लगे. इसका निर्माण कार्य 1960 में शुरू हुआ था. जो 1963 में पूरा हुआ. इस ऑब्जरवेटरी के जो केबल टूटे हैं उन पर 5.44 लाख किलोग्राम वजन था.

इस ऑब्जरवेटरी में एक 1007 फीट तीन इंच व्यास का बड़ा गोलाकार एंटीना है. जो सुदूर अंतरिक्ष में होने वाली गतिविधियों को पकड़ता है. इसका मुख्य काम धरती की तरफ आ रही खगोलीय वस्तुओं के बारे में जानकारी देना है. 1007 फीट व्यास वाले एंटीना में 40 हजार एल्यूमिनियम के पैनल्स लगे हैं जो सिग्नल रिसीव करने में मदद करते हैं. इस एंटीना को आर्सीबो राडार कहते हैं. आर्सीबो ऑब्जरवेटरी को बनाने का आइडिया कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर विलियम ई गॉर्डन को आया था.
इस एंटीना के बीचो-बीच एक रिफलेक्टर है जो ब्रिज के जरिए लटका हुआ है. यहां ऐसे दो रिफलेक्टर्स है. पहला 365 फीट की ऊंचाई पर और दूसरा 265 फीट की ऊंचाई पर. सभी रिफलेक्टर्स को तीन ऊंचे और मजबूत कॉन्क्रीट से बने टावर से बांधा गया है. बांधने के लिए 3.25 इंच मोटे स्टील के तारों का उपयोग किया गया है. ऑर्सीबो राडार यानी एंटीना कुल 20 एकड़ क्षेत्रफल में फैला है. इसकी गहराई 167 फीट है. इनमें से कुछ केबल टूट गए. जो केबल टूटे हैं उनपर 2.83 लाख किलोग्राम का वजन था. इसकी वजह से एंटीना के 100 फीट के हिस्से में छेद हो गया है. एल्यूमिनियम से बने एंटीना का बड़ा हिस्सा टूटकर जमीन पर गिर चुका है. आपको बता दें कि इस एंटीना की मदद से दुनिया भर के करीब 250 साइंटिस्ट अंतरिक्ष पर नजर रखते हैं.

MDH के मालिक धर्मपाल जी का निधन, जानिये तांगावाले का मशाला किंग तक का सफर

न्यूज डेस्क: MDH मसाले के मालिक महाशय धर्मपाल का 98 साल की उम्र में निधन हो गया. बताया जा रहा है कि आज सुबह 5.30 बजे हार्ट अटैक आने से उनका निधन हुआ. दिल्ली में पिछले 3 हफ्ते से उनका इलाज चल रहा था. उद्योग जगत में योगदान के लिए महाशय धर्मपाल को पिछले साल पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया था. वे कभी दिल्ली की सड़कों पर तांगा चलाते थे और फिर अरबों के कारोबारी बने.

महाशय की जिंदगी तकलीफ में गुजरी थी, इसलिए दूसरों का दर्द बांटने को हमेशा आगे रहते थे. उन्होंने महाशय चुन्नीलाल चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना की. इसके तहत कई स्कूल, अस्पताल और आश्रम बनवाए, जो गरीबों और जरूरतमंदों की मदद में लगे हैं.

धर्मपाल का परिवार पाकिस्तान के सियालकोट में रहता था. धर्मपाल की पढ़ने में रुचि नहीं थी. पिता चुन्नीलाल ने काफी कोशिश भी की, लेकिन उनका मन कारोबार में रमता था. 1933 में उन्होंने पांचवीं का इम्तहान भी नहीं दिया और किताबों से हमेशा के लिए तौबा कर ली. पिता ने एक जगह काम पर लगा दिया, लेकिन मन नहीं लगा. एक-एक कर कई काम छोड़े. पिता चिंता में पड़ गए, तब उन्हें सियालकोट में मसाले की दुकान खुलवा दी. यह उनका पुश्तैनी कारोबार था. यह दुकान चल पड़ी. इसे पंजाबी में महाशियां दी हट्‌टी (महाशय की दुकान) कहा जाता था. इसीलिए उनकी कंपनी का नाम इसी का शॉर्ट फॉर्म MDH पड़ा.

सब ठीक चल रहा था. उसी समय देश का विभाजन हो गया. सियालकोट पाकिस्तान में चला गया. परिवार सब कुछ छोड़कर सितंबर 1947 को अमृतसर फिर कुछ दिन बाद दिल्ली आ गया. तब उनकी उम्र 20 साल थी. विभाजन के दर्द को उन्होंने बखूबी देखा और महसूस किया था. उन्हें पता था कि परिवार पाकिस्तान में सब कुछ छोड़ आया है और हिंदुस्तान में सब नए सिरे से शुरू करना है.

जेब में सिर्फ 1500 रुपए थे. परिवार पालना था, इसलिए उन्होंने 650 रुपए में एक तांगा खरीदा और इस पर सवारियां ढोने लगे. एक सवारी से दो आना किराया लेते थे, लेकिन कहते हैं न कि जिसका काम उसी का साजे. महाशय का मन तो कारोबार में रमता था, इसलिए दो महीने बाद तांगा चलाना बंद कर दिया. जो पूंजी थी उसी में घर पर ही मसाला बनाना और बेचना शुरू कर दिया.

बाद में दिल्ली के कीर्तिनगर में कम पूंजी के साथ पहली फैक्ट्री लगाई. आज MDH देश-दुनिया में अपना स्वाद और खुशबू बिखेर रहा है. इसके मसाले लंदन, शारजाह, अमेरिका, साउथ अफ्रीका, न्यूजीलैंड, हॉन्गकॉन्ग, सिंगापुर समेत कई देशों में मिलते हैं. 1000 से ज्यादा डिस्ट्रीब्यूटर और चार लाख से ज्यादा रिटेल डीलर्स हैं. करीब 2000 करोड़ रुपए का कारोबार है. इस कंपनी के पास आधुनिक मशीनें हैं, जिनसे एक दिन में 30 टन मसालों की पिसाई और पैकिंग की जा सकती है.

Goodnews: कोरोना वैक्सीन Pfizer-BioNTech को मिली मंजूरी

न्यूज डेस्क: कोविड-19 का टीका 2020 में ही शुरू हो जायेगा. अगले सप्ताह से टीकाकरण शुरू करने को लेकर अनुमति मिल गयी है. ब्रिटेन में फाइजर और बायोएनटेक की कोरोना वायरस वैक्सीन को मंजूरी मिल गई है. ब्रिटेन कोविड-19 वैक्सीन के टीके को मंजूरी देने वाला पहला पश्चिमी देश बन गया है. यह वैक्सीन संक्रमण को रोकने में 95% से अधिक प्रभावी पाई गई है. ब्रिटेन के विदेश मंत्री डॉमिनिक राब ने एक इंटरव्यू में इसके संकेत दिए थे. ब्रिटेन ने 20 नवंबर को अपने चिकित्सा नियामक, मेडिसिन एंड हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी एजेंसी (एमएचआरए) से फाइजर-बायोएनटेक कोरोना वायरस वैक्सीन का आकलन करने को कहा था.
प्रसिद्ध और प्रमुख अमेरिकी दवा कंपनी फाइजर और जर्मन कंपनी बायोएनटेक ने साथ मिलकर इस टीके को विकसित किया है. कंपनी ने हाल में दावा किया था कि परीक्षण के दौरान उसका टीका सभी उम्र, नस्ल के लोगों पर कारगर रहा.

ब्रिटेन सरकार ने अपनी दवा और स्वास्थ्य उत्पाद नियामक एजेंसी (एमएचआरए) को कंपनी द्वारा मुहैया कराए गए आंकड़ों पर गौर कर यह देखने को कहा था कि क्या यह गुणवत्ता, सुरक्षा और असर के मामले में सभी मानकों पर खरा उतरता है. ब्रिटेन को 2021 के अंत तक दवा की चार करोड़ खुराक मिलने की संभावना है. इतनी खुराक से देश की एक तिहाई आबादी का टीकाकरण हो सकता है.

वहीं, ब्रिटेन में नियुक्त किये गए वैक्सीन मंत्री नादिम जहावी के हवाले से एक मीडिया रिपोर्ट में पहले ही कहा गया था कि अगर सबकुछ योजना के अनुसार होता है और फाइजर और बायोएनटेक द्वारा विकसित वैक्सीन को मंजूरी मिल जाती है तो उसके कुछ ही घंटों में वैक्सीन का वितरण और टीकाकरण शुरू कर दिया जाएगा. जरूरी तैयारियां को अंतिम रूप दिया जा रहा है.

दूसरी ओर फाइजर और बायोएनटेक ने यूरोपियन मेडिसिंस एजेंसी के समक्ष भी कोरोना वायरस के उनके टीके को मंजूरी के लिए एक आवेदन सौंपा है. दोनों कंपनियों ने मंगलवार को कहा कि सोमवार को सौंपे गए आवेदन की समीक्षा प्रक्रिया को पूरा किया गया.

उन्होंने इसे एजेंसी के समक्ष छह अक्तूबर को शुरू किया था. अमेरिका की दवा कंपनी मॉडर्ना ने अमेरिकी और यूरोपीय नियामकों से कोविड-19 के अपने टीके का आपातकालीन उपयोग करने की अनुमति देने का अनुरोध किया है. प्रतिद्वद्वी कंपनी मॉडर्ना के इस अनुरोध के एक दिन बाद इन कंपनियों ने यह कदम उठाया है. बायोएनटेक ने कहा है कि टीके को वर्तमान में बीएनटी162बी2 नाम दिया गया है और यदि यह मंजूर हो जाता है तो यूरोप में इसका इस्तेमाल 2020 के अंत से पहले शुरू हो सकता है.

देश में सभीको कोरोना की वैक्सीन नहीं मिलेगी !

न्यूज डेस्क: अगर आप इस इंतजार में हैं कि कोरोना की वैक्सीन बनने के बाद आप उसे लगवाएंगे तो आप गलत सोच रहे हैं. हो सकता है कि आपको टीका न लगे. दरअसल देश में सभी को कोरोना का टीका नहीं लगेगा. सरकार ने मंगलवार को साफ किया कि उसने कभी नहीं कहा है कि पूरी जनसंख्या को टीका लगाया जाएगा. सिर्फ उतनी ही आबादी का टीकाकरण किया जाएगा, जिससे कोरोना संक्रमण की कड़ी टूट जाए.

सरकार ने ऑक्सफर्ड वैक्सीन के ट्रायल को भी जारी रखने की बात कही है. स्वास्थ्य मंत्रालय की नियमित प्रेस कॉन्फ्रेंस में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के डायरेक्टर जनरल बलराम भार्गव ने कहा, मैं यह साफ करना चाहता हूं कि सरकार ने कभी नहीं कहा है कि पूरे देश का टीकाकरण किया जाएगा. टीकाकरण वैक्सीन की प्रभावोत्पादकता पर निर्भर करेगा. हमारा उद्देश्य कोविड-19 संक्रमण की कड़ी को तोडऩा है. अगर हम जोखिम वाले लोगों को वैक्सीन देने में सफल होते हैं और संक्रमण की कड़ी को तोडऩे में सफल होते हैं तो पूरी आबादी के टीकाकरण की जरूरत ही नहीं होगी.

सरकार ने ऑक्सफोर्ड वैक्सीन के ट्रायल में हिस्सा लेने वाले तमिलनाडु के एक शख्स पर कथित दुष्प्रभाव से वैक्सीन की टाइमलाइन प्रभावित होने की आशंका को खारिज किया है. हेल्थ सेक्रटरी राजेश भूषण ने कहा कि इससे टाइमलाइन प्रभावित नहीं होगी. उन्होंने कहा कि जब भी क्लीनिकल ट्रायल स्टार्ट होते हैं तो जो वॉलंटियर इसमें हिस्सा लेते हैं वे पहले ही एक सहमति पत्र पर दस्तखत करते हैं. पूरी दुनिया में यही होता है. फॉर्म में वॉलंटियर को बताया जाता है कि ट्रायल में कुछ दुष्रप्रभाव भी हो सकते हैं. भूषण ने बताया, डेटा सेफ्टी मॉनिटरिंग बोर्ड भी डे टु डे आधार पर क्लीनिकल ट्रायल्स की निगरानी कर रहा है और किसी भी तरह के साइड इफेक्ट्स पर नजर रखता है. कहीं कोई साइडइफेक्ट की बात होती है तो उसे दर्ज किया जाता है. ड्रग कंट्रोलर जनरल सभी रिपोर्ट्स का विश्लेषण करते हैं और यह पता लगाते हैं कि जो दुष्प्रभाव दिखे हैं वे वाकई वैक्सीन की वजह से हैं या नहीं.