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Category राजनीति

हैदराबाद में ढहा ओवैसी और टीआरएस का गढ़, बीजेपी का जबरदस्त प्रदर्शन

न्यूज डेस्क: ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (जीएचएमसी) चुनाव में 1,122 प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला होना है. इससे पहले चुनाव प्रचार के दौरान सभी दलों ने एड़ी चोटी का जोर लगाया था लेकिन ओवैसी के गढ़ में पैर जमाने के लिए BJP ने पहली बार किसी नगर निगम चुनाव के लिए इतनी आक्रामकता दिखाई. 150 में टीआरएस ने 56 सीटों पर जीत हासिल की है. वहीं, AIMIM को 43 और बीजेपी को 49 सीटों पर जीत मिली है. जबकि कांग्रेस के खाते में सिर्फ 2 सीटें आई है.


ओवैसी का किला माने जाने वाले हैदराबाद को बीजेपी ने लगभग भेद ही दिया है. ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (जीएचएमसी) चुनाव की 150 सीटों पर मतगणना के बाद से ही बीजेपी बढ़त बनाती दिखी. शुरू में तो बीजेपी 87 सीटों पर आगे रही. लेकिन उस समय पोस्टल बैलट ही गिने गये थे. बीजेपी ने जिस तरह यहां चुनाव प्रचार में ताकत झोंकी उसका फायदा भी हुआ. 2016 चुनाव में बीजेपी को गठबंधन में यहां 5 सीटें मिली थीं.

चुनाव प्रचार के दौरान सभी दलों ने एड़ी चोटी का जोर लगाया था लेकिन ओवैसी के गढ़ में पैर जमाने के लिए बीजेपी ने पहली बार किसी नगर निगम चुनाव में किसी बड़े चुनाव की तरह सारी ताकत लगा दी. शाह, नड्डा और योगी समेत सभी बडे़ नेताओं ने प्रचार किया. आज कौन मारेगा बाजी, इसकी तस्वीर दोपहर तक साफ हो जाएगी-

हैदराबाद निकाय चुनाव के लिए जारी मतगणना के बीच बीजेपी नेता किरीट सोमैया ने ट्वीट किया- हैदराबाद में जीत हमारी है, अगले साल मुंबई की बारी है.

महाराष्ट्र विधान परिषद चुनावों में कौन जीता जानिये

न्यूज डेस्क: महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव में बीजेपी को बड़ा झटका लगा है. 6 सीटों पर हुए चुनाव में बीजेपी को सिर्फ एक सीट पर जीत मिल सकी है जबकि उसके प्रतिद्वंद्वी शिवसेना-एनसीपी और कांग्रेस गठबंधन ने 4 सीट पर जीत दर्ज की है. एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार के खाते में जाते दिख रही है. इस बीच, महाराष्ट्र बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि विधान परिषद चुनाव के नतीजे हमारी उम्मीद के मुताबिक नहीं रहे.

फडणवीस ने कहा, “महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव का परिणाम हमारे उम्मीदों के अनुरूप नहीं रहा. हम ज्यादा सीटें जीतने की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन हम सिर्फ एक सीट जीत सके. हमने महा विकास अघाड़ी (शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन) की ताकत को आकलन करने में गलती की.”

बीजेपी अपने कथित गढ़ स्नातक निर्वाचन क्षेत्रों में हार गई. उसकी सबसे बड़ी हार नागपुर सीट पर हुई. यहां बीजेपी की पकड़ काफी मजबूत मानी जाती है. पूर्व में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के पिता गंगाधर राव फडणवीस इस सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. गडकरी 1989 में पहली बार इस क्षेत्र से जीते थे और 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ने से पहले चार और जीत दर्ज की थी.

पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस समेत महाराष्ट्र बीजेपी के अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल समेत बीजेपी नेताओं ने पुणे में भी प्रचार किया था, जहां विरोधी गठबंधन ने जीत दर्ज की. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरद पवार ने औरंगाबाद और पुणे स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से जीत दर्ज की है.

सस्ती कोरोना वैक्सीन के लिए दुनिया की नजर भारत पर: पीएम

न्यूज डेस्क: कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों से कैसे निपटा जाए, इस पर चर्चा के लिए आज पीएम मोदी की अगुवाई में सर्वदलीय बैठक हुई. कोरोना वायरस महामारी से उत्पन्न स्थिति पर चर्चा करने के लिए केंद्र द्वारा आज बुलाई गई सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता पीएम नरेंद्र मोदी किये. माना जा रहा है कि अगले कुछ हफ़्तों में कोरोना की वैक्सीन तैयार हो जाएगी. जैसे ही वैज्ञानिकों की हरी झंडी मिलेगी भारत में टीकाकरण अभियान शुरू कर दिया जाएगा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कोरोना वायरस पर सर्वदलीय बैठक को संबोधित किया. उन्होंने कहा कहा कह अभी अन्य देशों की कई वैक्सीन के नाम हम बाज़ार में सुन रहे हैं लेकिन दुनिया की नज़र कम कीमत वाली, सबसे सुर​क्षित वैक्सीन पर है और इसलिए पूरी दुनिया की नज़र भारत पर भी है. बैठक में पीएम मोदी ने कहा कि क़रीब 8 ऐसी संभावित वैक्सीन हैं जो ट्रायल के अलग-अलग चरण में हैं और जिनका उत्पादन भारत में ही होना है. भारत की अपनी 3 वैक्सीन का ट्रायल अलग-अलग चरणों में है. विशेषज्ञ ये मान रहे हैं कि वैक्सीन के लिए बहुत ज़्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा.

कोविड-19 महामारी शुरू होने के बाद से दूसरी बार सरकार ने कोरोना वायरस से उत्पन्न हालात पर चर्चा के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई है. वायरस के प्रसार को रोकने के लिए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान 20 अप्रैल को पहली बैठक आयोजित हुई थी.

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, गृहमंत्री अमित शाह, स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन, संसदीय कार्यमंत्री प्रहलाद जोशी सहित सरकार के शीर्ष मंत्री बैठक में शामिल हुए. कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी और गुलाम नबी आजाद, तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय और डेरेक ओ ब्रायन, वाईएसआर कांग्रेस के मिधुन रेड्डी और विजयसाई रेड्डी समेत अन्य नेताओं ने बैठक में हिस्सा लिया.

शाह VS ओवैसी: हैदराबाद में बड़ा उलटफेर, बीजेपी आगे

न्यूज डेस्क: ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (जीएचएमसी) चुनाव में 1,122 प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला होना है. इससे पहले चुनाव प्रचार के दौरान सभी दलों ने एड़ी चोटी का जोर लगाया था लेकिन ओवैसी के गढ़ में पैर जमाने के लिए BJP ने पहली बार किसी नगर निगम चुनाव के लिए इतनी आक्रामकता दिखाई.ओवैसी का किला माने जाने वाले हैदराबाद को बीजेपी भेदती दिख रही है.

ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (जीएचएमसी) चुनाव की 150 सीटों पर मतगणना जारी है और बीजेपी शुरुआती रुझानों में बंपर बढ़त बना चुकी है. बीजेपी 87 सीटों पर आगे है. वहीं सत्तारूढ़ टीआरएस 33 सीटों पर आगे चल रही है. हैदराबाद में दूसरे नंबर पर काबिज रही ओवैसी की पार्टी फिलहाल 17 सीटों के साथ तीसरे नंबर पर है. बीजेपी ने जिस तरह यहां चुनाव प्रचार में ताकत झोंकी उसका फायदा होता दिख रहा है. 2016 चुनाव में बीजेपी को गठबंधन में यहां 5 सीटें मिली थीं. बता दें कि जीएचएमसी चुनाव में आज 1,122 प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला होना है.

चुनाव प्रचार के दौरान सभी दलों ने एड़ी चोटी का जोर लगाया था लेकिन ओवैसी के गढ़ में पैर जमाने के लिए बीजेपी ने पहली बार किसी नगर निगम चुनाव में किसी बड़े चुनाव की तरह सारी ताकत लगा दी. शाह, नड्डा और योगी समेत सभी बडे़ नेताओं ने प्रचार किया. आज कौन मारेगा बाजी, इसकी तस्वीर दोपहर तक साफ हो जाएगी-

हैदराबाद निकाय चुनाव के लिए जारी मतगणना के बीच बीजेपी नेता किरीट सोमैया ने ट्वीट किया- हैदराबाद में जीत हमारी है, अगले साल मुंबई की बारी है.


अबतक की जानकारी के मुताबिक, पोस्टल बैलेट्स की गिनती करीब-करीब पूरी हो चुकी है और अब बैलेट पेपर की गिनती हो रही है. मौजूदा ट्रेंड के मुताबिक, बीजेपी 87, टीआरएस 33 और AIMIM 17 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है.

किसानों संग वार्ता में कई बिंदुओं पर सहमति, शनिवार को फिर होगी बैठक

न्यूज डेस्क: कृषि कानूनों के विरोध में करीब आठ घंटे के बाद केंद्र सरकार और किसानों के बीच बैठक खत्‍म हुई है. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि बातचीत सौहार्द्रपूर्ण वातावरण में हुई. कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों के साथ इस विषय पर ये चौथे चरण की बैठक थी. उन्होंने बताया कि शनिवार दोपहर 2 बजे यूनियन के साथ फिर से बैठक होनी है और शायद उस दिन हम किसी निर्णय पर होंगे. कृषि मंत्री से जब किसानों के आंदोलने समाप्त करने को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने बताया कि आज हुई बैठक में इस विषय पर कोई चर्चा नहीं हुई.

किसान नेताओं के साथ लगभग 8 घंटे तक चली मैराथन बैठक के बाद कृषि मंत्री मीडिया से कहा, “सरकार खुले मन से किसानों के साथ चर्चा कर रही है. किसानों के साथ आज चौथे चरण की बैठक हुई. आज सौहार्दपूर्ण माहौल में बैठक हुई. किसानों और सरकार ने अपना-अपना पक्ष रखा है.दो-तीन बिंदुओं पर किसानों की चिंता थी, हम हर मुद्दे पर खुले मन से बात कर रहे हैं, हमारा कोइ अहम नहीं है. मंडियों को सशक्‍त बनाने पर विचार हुआ. ट्रेडर का रजिस्ट्रेशन हो यह हम सुनिश्चित करेंगे.”

कृषि मंत्री आगे कहा, ” कोई विवाद होने पर एसडीएम कोर्ट या न्यायालय रहे ये यूनियन की चिंता थी. इस पर विचार करने के लिए हम पूरी तरह तैयार है. पराली के विषय पर ऑर्डिनेंस को लेकर किसानों की शंका है, विद्युत एक्ट को लेकर शंका है, उस पर भी सरकार बातचीत करने के लिए तैयार है. एक्ट के जो प्रावधान है उसमें किसानों को पूरी तरह से सुरक्षा प्रदान की गई है. फिर भी लोगों को शंका है तो उसका समाधान निकालने के लिए सरकार तैयार है.”

उन्‍होंने कहा कि न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य के बारे में किसानों की चिंता है. यह पहले भी जारी था, जारी है और आगे भी रहेगा. कृषि मंत्री ने कहा कि परसों यानी 5 दिसंबर को दोपहर को दोनों पक्षों की फिर बातचीत होनी है और उम्‍मीद है कि हम किसी सर्वसम्‍मत समाधान पर पहुंचेंगे. कृषि मंत्री पीयूष गोयल भी इस बैठक में सरकार की ओर से उपस्थित थे.

कृषि मंत्री ने किसानों के आंदोलन को लेकर कहा, “आंदोलन समाप्त करने के लिए विषय पर कोई बात आज नहीं हुई. मैं किसानों से आग्रह करता हूं कि सर्दी को देखते हुए किसान भाई आंदोलन समाप्त करें. बातचीत का सिलसिला जारी है. बातचीत के दरवाजे बंद नहीं है इसलिए किसानों से आंदोलन समाप्त करने की अपील करता हूं. ताकि दिल्ली के लोगों को जो परेशानी हो रही है वो भी दूर हो.”

वहीं दूसरी तरफ इस बैठक के बाद किसान नेताओं ने कहा है, “आंदोलन वापसी का कोई सवाल नहीं है. आज सरकार ने बातचीत की कोशिश की है लेकिन हमारी मांग है कि कानून वापस होना चाहिए. सरकार संशोधन की कोशिश में लगी है. सरकार ने विचार को लिए एक दिन का वक्त मांगा है. कल सुबह 11 बजे सभी किसान संगठनों की बैठक होगी. “

बंगाल में सरकारी कर्मचारियों पर बरसी सीएम की ममता

न्यूज डेस्क: पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने में अब चार महीने ही शेष हैं. बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने आर्थिक बदहाली के बावजूद सरकारी कर्मियों की नाराजगी दूर करने का प्रयास किया है. सरकारी कर्मचारियों के लिए अगले महीने से महंगाई भत्ते में तीन फीसदी की बढ़ोतरी की घोषणा करते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को कहा कि अपने कर्मचारियों के लिए राज्य का कोष कभी नहीं सूखेगा, भले ही उसे केंद्र सरकार से बकाया 85 हजार करोड़ रुपये की रकम मिलनी शेष है.

ममता बनर्जी ने तृणमूल कांग्रेस से संबद्ध सरकारी कर्मचारियों के संगठन को राज्य सचिवालय में संबोधित करते हुए कहा कि बंगाल का केंद्र के पास यूजीसी अनुदान, जीएसटी और कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई सहित विभिन्न मदों में बकाया है. उन्होंने कहा, ‘‘हमें वित्तीय बकाया नहीं मिल रहा है. जीएसटी के मद में करीब आठ हजार करोड़ रुपये का बकाया है. वित्तीय संकट के बावजूद हमने पिछले सभी वेतन आयोगों की अनुशंसाओं को पूरा किया. हम जनवरी 2021 से तीन फीसदी महंगाई भत्ता भी देंगे.’’

बनर्जी ने कहा कि इससे राज्य के खजाने पर 2200 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा. उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र ने 85 हजार करोड़ रुपये से अधिक के बकाये का भुगतान नहीं किया है लेकिन इससे हमें लोगों को उनका बकाया देने से नहीं रोका जा सकता.’’ मुख्यमंत्री ने कहा कि 14 हजार उच्चतर माध्यमिक स्कूलों और 636 मदरसों के 9.5 लाख विद्यार्थियों को उनकी ऑनलाइन कक्षाओं के लिए नि:शुल्क टैबलेट दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि राज्य ने 950 रुपये की दर से आरटी-पीसीआर जांच की व्यवस्था सुनिश्चित की है.

फरवरी से मई के बीच हो सकते हैं यूपी में पंचायत चुनाव, जानिये आरक्षण का गणित

न्यूज डेस्क: यूपी में भले ही अभी पंचायत चुनाव की तारीखों की घोषणा नहीं हुई हो लेकिन प्रशासनिक स्तर पर तैयारियां जोरों पर हैं. कानपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में पहुंचे पंचायतीराज के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने कहा कि पंचायत चुनाव फरवरी, अप्रैल या मई में हो सकते हैं. इस संबंध में जल्द निर्णय ले लिया जाएगा. शासनस्तर पर चुनाव कराने को लेकर विचार चल रहा है. अभी कुछ तय नहीं हुआ है. सीटों के आरक्षण को लेकर हर वर्ग में टकटकी लगी हुई है.

अन्नप्राशन महिला लघु उद्योग निर्माण इकाई के लोकार्पण कार्यक्रम में पहुंचे अपर मुख्य सचिव ने बताया कि पंचायत चुनाव की जिले स्तर पर तैयारियां तेजी से चल रही है. अधिकारी और कर्मचारी इसमें जुटे हैं. उन्होंने बताया कि प्रधानों का कार्यकाल समाप्त होने पर पंचायतीराज अधिनियम के तहत एडीओ स्तर के अधिकारी प्रशासक नियुक्त किए जाएंगे.

यूपी की मौजूदा ग्राम पंचायत का कार्यकाल 25 दिसबंर को खत्म हो रहा है, लेकिन उससे पहले चुनाव संभव नही है. सरकार फरवरी 2021 से मई के बीच चुनाव कराने की तैयारी में है. अभी वोटर लिस्ट पुनरीक्षण का काम चल रहा है. इसके साथ पंचायत चुनाव लड़ने वालों की निगाहें आरक्षण सूची पर लगी है. हर कोई यह जानने को बेताब है कि आखिर उनके गांव में आरक्षण स्थिति इस बार क्या रह सकती है.

पंचायतों में आरक्षण लागू करने के लिए राजस्व ग्रामों की जनसंख्या का आकलन किया जाएगा. पांच साल पहले चुनाव के समय ग्राम पंचायत की क्या स्थिति थी, वर्तमान में क्या स्थिति है, उसी आधार पर तय होगा कि उस ग्राम पंचायत की सीट किस प्रत्याशी के लिए आरक्षित होगी.

वर्तमान में जिस वर्ग के लिए सीट आरक्षित है, वह आगामी चुनाव में उस वर्ग के लिए आरक्षित नहीं रहेगी. आरक्षण वरीयता क्रम में एसटी की कुल आरक्षित सीटों में से एक तिहाई एसटी महिला के लिए आरक्षित होंगी. बाकी में महिला या पुरुष दोनों रहेंगे. एससी की 21 प्रतिशत आरक्षित सीटों में एक तिहाई सीटें इस वर्ग की महिला और बाकी बची सीटें इसी वर्ग के महिला या पुरुष दोनों के लिए होंगी. ओबीसी की 27 फीसदी सीटों में तिहाई सीटें इस वर्ग की महिला के लिए आरक्षित की जाएंगी. बाकी इस वर्ग की महिला या पुरुष दोनों के लिए अनारक्षित रहेंगी. कुल की 50 प्रतिशत सीटें अनारक्षित होंगी, मगर उनमें एक तिहाई सीटें सामान्य जाति की महिला प्रत्याशियों के लिए आरक्षित रहेंगी. पंचायत चुनाव में सीटों पर आरक्षण अवरोही क्रम में लागू होगा.

किसानों संग मंत्रियों की बैठक बेनतीजा, चाय के बदले जलेबी का ऑफर

न्यूज डेस्क: केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली में जमे किसानों और सरकार के तीन मंत्रियों के बीच करीब साढ़े तीन घंटे तक बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकल पाया. हालांकि दोनों पक्षों के बीच खुशनुमा माहौल रहा. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने जब किसानों के प्रतिनिधियों को चाय ऑफर किया तो उन्होंने कहा कि हमारे यहां आकर जलेबी और लंगर चखिये. मंगलवार को विज्ञानभवन में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर सहित तीन मंत्रियों और किसान संगठनों के 30 से अधिक प्रतिनिधियों में मंथन के बाद केवल इतना तय हो पया है कि 3 दिसंबर को दोनों पक्षों में फिर बातचीत होगी. किसान नेताओं ने यह भी साफ कर दिया है कि धरना प्रदर्शन जारी रहेगा. सरकार ने किसानों द्वारा उठाए गए मुद्दों पर गौर करने के लिए एक समिति गठित करने की पेशकश की है.

सूत्रों ने कहा कि किसान प्रतिनिधियों के साथ सरकार की तरफ से रखे गए इस प्रस्ताव का जवाब किसान संगठनों के प्रतिनिधियों की ओर से नहीं आया है. लेकिन वे सभी किसान प्रतिनिधि नए तीनों कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने की मांग को लेकर एकमत हैं. किसान प्रतिनिधियों की राय में ये कानून कृषक समुदाय के हित के खिलाफ हैं.

किसान संगठनों के साथ बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि बैठक अच्छी रही और हमने फैसला लिया है कि फिर से 3 दिसंबर को बातचीत होगी. उन्होंने कहा, ”हम चाहते थे कि एक छोटा सा समूह बनाया जाए, लेकिन किसान नेता चाहते हैं कि सभी से बातचीत हो. हमें इससे कोई समस्या नहीं है.” बीकेयू (एकता उगराहां) अध्यक्ष जोगिंद्र सिंह उगराहां ने कहा कि सरकार की प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के साथ बातचीत बेनतीजा रही है.

केंद्रीय मंत्रियों और 30 से अधिक किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच बैठक के बीच सरकार ने विश्वास जताया कि वह आंदोलनकारी किसानों द्वारा उठाये गये मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के बाद किसी समाधान पर पहुंचेगी. विज्ञान भवन में बैठक के लिए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ रेल और वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्यमंत्री सोम प्रकाश मौजूद थे. बैठक से कुछ घंटे पहले केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, अमित शाह, नरेन्द्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल और भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने केंद्र के नए कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध प्रदर्शन पर लंबी चर्चा की.

मंत्री ने चाय ऑफर किया तो किसानों ने कहा जलेबी खाने आइये

एमएसपी पर प्रजेंटेशन के बाद मंत्रियों ने बैठक में टी-ब्रेक लिया और किसान नेताओं को चाय ऑफर की. इस दौरान एक किसान ने खड़े होकर कहा कि बॉर्डर पर आकर जलेबी और लंगर में शामिल होइए. किसानों ने सरकार के चाय के ऑफर को ठुकरा दिया. बताया जा रहा है कि सरकार ने किसान नेताओं को कमेटी बनाने का प्रस्ताव दिया है, जो मौजूदा कानून की समीक्षा करेगी. अब किसान नेताओं को इस पर फैसला करना है.