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प्रधानमंत्री मोदी ने गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब में सिक्ख गुरु तेगबहादुर को नमन किया

सिक्खों के नौंवे गुरु तेगबहादुर जी की पुण्यतिथि पर बिना किसी औपचारिक तामझाम या पूर्व घोषणा के एक आम हिन्दू के रुप में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब पहुँचे और गुरु के सामने शीश नवा कर उनका आशीर्वाद लिया.
क्रूर निर्दयी मुसलमान शासक औरंगबेज हिन्दुओं पर अत्यधिक अत्याचार करने के लिए जाना जाता है. उसने कश्मीर के हिन्दुओं पर अत्याचार की अति कर दी थी. ऐरी परिस्थिति में नौंवे सिख्ख गुरु तेगबहादुर ने उनकी रक्षा करने का संकल्प लिया. गुरु तेगहादुर के प्रयासों से कश्मीरी हिन्दुओं में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ता देख औरंगजेब ने छल रच कर वार्चालाप के लिए दिल्ली आने का संदेशा भेजा.
जब गुरु तेगबहादुर दिल्ली आए तो उनको साथियों समेत गिरफ्तार कर लिया गया. उनके साथी भाई मति दास को टुकड़े टुकड़े कर दिया गया पर वह मुसलमान बनने को तैयार नहीं हुए. उनके बाद भाई दयाल दास को खौलते पानी की कढ़ाही में जीते जी उबाला गया पर उन्होंने मुसलमान होना स्वीकार नहीं किया. गुरु तेगबहादुर के तीसरे साथी भाई सती दास को भी मुसलमान होना अस्वीकार करने पर जिन्दा जला दिया गया. ये सारे अत्याचार एक खिड़की से देखने के लिये कैदी गुरु तेगबहादुर को विवश किया गया जिससे उनका साहस टूटे और बह मुसलमान होना स्बीकार कर लें. पर गुरु तेग बहादुर ने तब भी अपना धर्म नहीं त्यागा. इसके बाद मुसलमान अत्याचारी औरंगजेब के आदेश पर 54 वर्ष के गुरु तेगबहादुर का शीश 19 दिसम्बर 1675 के दिन सार्वजनिक रुप से धड़ से अलग कर दिया गया था.

किसानों का आंदोलन क्यों हुआ तेज- 8 दिसंबर को करेंगे भारत बंद !

न्यूज डेस्क: केंद्र सरकार और प्रदर्शनकारी किसानों के बीच नए कृषि कानूनों पर सहमति नहीं बन पा रही है. इस बीच किसानों ने केंद्र पर दबाव बढ़ाने के लिए आंदोलन तेज करने का मन बनाया है. किसानों का कहना है कि अगर केंद्र सरकार ने उनकी मांग नहीं मानी तो 8 दिसंबर को भारत बंद किया जाएगा. वहीं, किसान नेता हरविंदर सिंह लखवाल ने कहा कि दिल्ली की बाकी सड़कों को भी अवरुद्ध करने की योजना बनाई गई है. वहीं, शनिवार को मोदी सरकार और कॉर्पोरेट घरानों के पुतले फूंकने का भी ऐलान किया गया है.

दिल्ली-गाजियाबाद बॉर्डर पर प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे किसान नेता राकेश टिकैत ने 8 तारीख के भारत बंद का आह्वान करते हुए गणतंत्र दिवस परेड में किसानों की भागीदारी की मांग की. उन्होंने कहा, ‘8 तारीख को पूरा भारत बंद रहेगा. इस बार 26 जनवरी की परेड में किसानों के पूरे सिस्टम को शामिल किया जाए. ट्रैक्टर हमेशा उबड़-खाबड़ ज़मीन पर ही चला है उसे भी राजपथ की मखमली सड़क पर चलने का मौका मिलना चाहिए.’

उधर, सिंघु बॉर्डर पर डटे अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने साफ कहा कि भारत सरकार का कोई भी संशोधन स्वीकार नहीं किया जाएगा. उन्होंने किसान आंदोलन को सिर्फ पंजाब का आंदोलन कहे जाने पर रोष प्रकट किया. मोल्लाह ने कहा, ‘इसे सिर्फ पंजाब आंदोलन बोलना सरकार की साजिश है, मगर आज किसानों ने दिखाया कि ये आंदोलन पूरे भारत में हो रहा है और आगे भी होगा. हमने फैसला लिया है कि अगर सरकार कल कोई संशोधन रखेगी तो हम संशोधन स्वीकार नहीं करेंगे.’

इसी प्रदर्शन स्थल पर भारतीय किसान यूनियन (BKU) ने शनिवार को पुतला दहन कार्यक्रम का ऐलान किया. यूनियन के महासचिव ने कहा, ‘5 दिसंबर को मोदी सरकार और कॉर्पोरेट घरानों के पुतले पूरे देश में फूंके जाएंगे. 7 तारीख को सभी वीर अपने मेडलों को वापिस करेंगे. 8 तारीख को हमने भारत बंद का आह्वान किया है व एक दिन के लिए सभी टोल प्लाजा फ्री कर दिए जाएंगे.’

किसान आंदोलन पर किसने क्या कहा

इधर, किसान आंदोलन पर हरेक दल की तरफ से अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने की कोशिशें भी तेज हो रही हैं. विपक्षी पार्टियों को इस समय केंद्र सरकार को बैकफुट पर लाने का एक बड़ा मौका दिख रहा है. इसलिए, उनमें किसानों का समर्थन पाने की होड़ दिख रही है. इसी सिलसिले में वो एक-दूसरे पर आरोप भी लगा रहे हैं. दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री और आप नेता मनीष सिसोदिया ने शुक्रवार को पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह पर हमला बोला. उन्होंने कहा, ‘वो (कैप्टन अमरिंदर सिंह) पंजाब के किसानों को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बता रहे हैं. पंजाब के मुख्यमंत्री आज बीजेपी के मुख्यमंत्री की तरह व्यवहार कर रहे हैं.’

उन्होंने किसानों के मुद्दे पर केंद्र सरकार को भी निशाने पर लिया. सिसोदिया ने कहा, ‘ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश के किसानों की आवाज दबा के केंद्र सरकार और कांग्रेस राजनीति कर रही है. कल कैप्टन अमरिंदर सिंह भाजपा के नेताओं से मिलते हैं, जो कहने के लिए पंजाब के मुख्यमंत्री हैं और बीजेपी का बचाव करते हैं.’ अमरिंदर पर इसी तरह का हमला आप के अन्य नेता और स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन एवं पार्टी प्रवक्ता राघव चड्ढा ने भी किया.

उधर, दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने किसानों का हितैषी बताने की होड़ में कहा, ‘आज मैंने सिंघु बॉर्डर पर किसानों के लिए की गई व्यवस्थाओं का जायज़ा लिया. बॉर्डर पर 300 से ज्यादा टॉयलेट दिल्ली सरकार ने लगाए हैं, पानी के लिए सौ से अधिक टैंकर और एंबुलेंस की व्यवस्था भी की गई है. सभी व्यवस्थाएं संतोषजनक है.’
वहीं, समाजवादी पार्टी (SP) के रामगोपाल यादव ने कहा, ‘सभी जानते हैं कि यह कानून किसानों की तकदीर को सील करने वाले हैं. सारी मंडियां खत्म हो जाएंगी. बड़े-बड़े लोग आकर मंडियां बना लेंगे और जब उनका एकाधिकार हो जाएगा तब वे किसानों की फसल को मनचाहे दाम पर खरीदेंगे. देश के सिस्टम को सरकार ने चंद लोगों को दे दिया है.’

किसान आंदोलन से राज्यों की राजनीति भी गरमा रही है. हरियाणा के पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने राज्यपाल से विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर डाली. हुड्डा ने कहा, ‘हरियाणा के राज्यपाल से आग्रह है कि वो विशेष सभा सत्र बुलाए और किसानों की समस्या पर चर्चा करें. सभा में हम अविश्वास प्रस्ताव पेश करेंगे क्योंकि जो मौजूदा सरकार है वो लोगों का और विधान सभा का विश्वास खो चुकी है.’

वहीं, राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने कहा, ‘किसानों की बात केंद्र सरकार ने नहीं सुनी जिसके कारण आज किसान पूरे देश में आंदोलन कर रहे हैं. लोकतंत्र के अंदर संवाद सरकार के साथ इस प्रकार कायम रहते तो यह चक्का जाम के हालात नहीं बनते एवं आम जन को तकलीफ का सामना नहीं करना पड़ता.’

इधर, टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन शुक्रवार को सिंघु बॉर्डर पहुंचे और कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों से मिले. उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने फोन पर किसानों से बात की और उनका समर्थन किया. उधर, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) ने केंद्र सरकार पर अड़ियल होने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, ‘किसानों की मांग है कि जो कानून बनाए गए है उन्हें निरस्त करने का काम किया जाए. MSP को लेकर क़ानून बनाया जाए. BJP हमेशा से किसानों की पार्टी नहीं रही,किसानों के माल की लूट करने वालों की पार्टी रही है. BJP को अपना अड़ियल रवैया छोड़कर किसानों की मांग को पूरा करना चाहिए.’

महाराष्ट्र विधान परिषद चुनावों में कौन जीता जानिये

न्यूज डेस्क: महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव में बीजेपी को बड़ा झटका लगा है. 6 सीटों पर हुए चुनाव में बीजेपी को सिर्फ एक सीट पर जीत मिल सकी है जबकि उसके प्रतिद्वंद्वी शिवसेना-एनसीपी और कांग्रेस गठबंधन ने 4 सीट पर जीत दर्ज की है. एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार के खाते में जाते दिख रही है. इस बीच, महाराष्ट्र बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि विधान परिषद चुनाव के नतीजे हमारी उम्मीद के मुताबिक नहीं रहे.

फडणवीस ने कहा, “महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव का परिणाम हमारे उम्मीदों के अनुरूप नहीं रहा. हम ज्यादा सीटें जीतने की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन हम सिर्फ एक सीट जीत सके. हमने महा विकास अघाड़ी (शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन) की ताकत को आकलन करने में गलती की.”

बीजेपी अपने कथित गढ़ स्नातक निर्वाचन क्षेत्रों में हार गई. उसकी सबसे बड़ी हार नागपुर सीट पर हुई. यहां बीजेपी की पकड़ काफी मजबूत मानी जाती है. पूर्व में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के पिता गंगाधर राव फडणवीस इस सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. गडकरी 1989 में पहली बार इस क्षेत्र से जीते थे और 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ने से पहले चार और जीत दर्ज की थी.

पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस समेत महाराष्ट्र बीजेपी के अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल समेत बीजेपी नेताओं ने पुणे में भी प्रचार किया था, जहां विरोधी गठबंधन ने जीत दर्ज की. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरद पवार ने औरंगाबाद और पुणे स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से जीत दर्ज की है.

खरमास में कल्पवास और सूर्यदेव की पूजा से मिलता है विशेष फल

न्यूज डेस्क: खरमास को पौष मास भी कहते हैं. इस महीने में दान-तप आदि किया जाता है. जब सूर्य देव गुरु की राशि धनु या मीन में विराजमान रहते हैं, उस समय को खरमास कहा जाता है. इस महीने दिसंबर में 14 तारीख से खरमास शुरू हो रहे हैं. पौष माह में कल्पवास का विधान किया गया है. कल्पवास का अर्थ है कि संगम के तट पर निवास कर वेदाध्ययन और ध्यान तथा साधना करना. इसके बाद मकर संक्रांति के दिन संगम में स्नान किया जाता है. पौष खरमास का मास है, जिसमें किसी भी तरह के मांगलिक कार्य, विवाह, यज्ञोपवीत या फिर किसी भी तरह के संस्कार नहीं किए जाते हैं. तीर्थ स्थल की यात्रा करने के लिए खरमास सबसे उत्तम मास माना गया है.

खरमास की प्रचलित कथा

इस कथा के अनुसार सूर्यदेव अपने सात घोड़ों के रथ में भ्रमण कर रहे थे. घूमते घूमते अचानक उनके घोड़े प्यास से व्याकुल हो उठे. रास्ते में उन्हें एक तालाब दिखाई दिया. सूर्यदेव ने अपने रथ को रोक दिया और घोड़ों को पानी पिलाने लगे. पानी पीने के बाद घोड़े थकान से भर गए, तभी सूर्यदेव को स्मरण हुआ कि सृष्टि के नियमानुसार उन्हें निरंतर ऊर्जावान होकर चलते रहने का आदेश है.

इस बीच सूर्यदेव को तालाब के किनारे दो गधे दिखाई दिए. सूर्यदेव उन गधों को अपने रथ में जोतकर वहां से चल दिए. इस तरह सूर्यदेव इस पूरे माह मंद गति से गधों की सवारी से चलते रहे. इस समय उनका तेज भी कम हो गया. पुनः मकर राशि में प्रवेश करने के समय एक माह पश्चात वह अपने सातों घोड़ों पर सवार हुए.
कुंभ, अर्धकुंभ, महाकुंभ, सिंहस्थ और पूस एवं माघ माह की पूर्णिमा को नदी किनारे कल्पवास करने का विधान है. इस बार माघ पूर्णिमा से कल्पवास प्रारंभ हो रहा है. कल्पवास का अर्थ होता है संगम के तट पर निवास कर वेदाध्ययन, व्रत, संत्संग और ध्यान करना. कल्पवास पौष माह के 11वें दिन से माघ माह के 12वें दिन तक रहता है. कुछ लोग माघ पूर्णिमा तक कल्पवास करते हैं.

कल्पवास क्यों और कब 

प्राचीनकाल में तीर्थराज प्रयागराज में घना जंगल हुआ करता था. यहां सिर्फ भारद्वाज ऋषि का आश्रम ही हुआ करता था. भगवान ब्रह्मा ने यहां यज्ञ किया था. उस काल से लेकर अब तक ऋषियों की इस तपोभूमि पर कुंभ और माघ माह में साधुओं सहित गृहस्थों के लिए कल्पवास की परंपरा चली आ रही है. ऋषि और मुनियों का तो संपूर्ण वर्ष ही कल्पवास रहता है, लेकिन उन्होंने गृहस्थों के लिए कल्पवास का विधान रखा. उनके अनुसार इस दौरान गृहस्थों को अल्पकाल के लिए शिक्षा और दीक्षा दी जाती थी.

कल्पवास के नियम

इस दौरान जो भी गृहस्थ कल्पवास का संकल्प लेकर आता है ऋषियों की या खुद की बनाई पर्ण कुटी में रहता है. इस दौरान दिन में एक ही बार भोजन किया जाता है तथा मानसिक रूप से धैर्य, अहिंसा और भक्तिभावपूर्ण रहा जाता है. पद्म पुराण में इसका उल्लेख मिलता है कि संगम तट पर वास करने वाले को सदाचारी, शान्त मन वाला तथा जितेन्द्रिय होना चाहिए. कल्पवासी के मुख्य कार्य है:- 1.तप, 2.होम और 3.दान.

यहां झोपड़ियों (पर्ण कुटी) में रहने वालों की दिनचर्या सुबह गंगा-स्नान के बाद संध्यावंदन से प्रारंभ होती है और देर रात तक प्रवचन और भजन-कीर्तन जैसे आध्यात्मिक कार्यों के साथ समाप्त होती है. लाभ- ऐसी मान्यता है कि जो कल्पवास की प्रतिज्ञा करता है वह अगले जन्म में राजा के रूप में जन्म लेता है लेकिन जो मोक्ष की अभिलाषा लेकर कल्पवास करता है उसे अवश्य मोक्ष मिलता है.-मत्स्यपु 106/40

स्नान का महत्व

‘पद्मपुराण’ और ‘ब्रह्मवैवर्तपुराण’ में वर्णन मिलता है कि माघ पूर्णिमा पर स्वयं जगतपालक भगवान विष्णु गंगाजल में निवास करते हैं. इसलिए इस दिन गंगाजल का स्पर्शमात्र भी स्वर्ग की प्राप्ति देता है. पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु व्रत, उपवास, दान से भी उतने प्रसन्न नहीं होते, जितना अधिक प्रसन्न माघ स्नान करने से होते हैं. यही वजह है कि अनेक प्राचीन हिन्दू ग्रंथों में वैकुण्ठ को पाने का आसान रास्ता माघ पूर्णिमा के पुण्य स्नान को बताया गया है. विश्व से सबसे बड़े महाकाव्य महाभारत में उल्लेख है कि इन दिनों में अनेक तीर्थों का समागम होता है.
माघ माहात्म्य :
माघमासे गमिष्यन्ति गंगायमुनसंगमे.
ब्रह्माविष्णु महादेवरूद्रादित्यमरूद्गणा:..
अर्थात् ब्रह्मा, विष्णु, महादेव, रुद्र, आदित्य तथा मरूद्गण माघ मास में प्रयागराज के लिए यमुना के संगम पर गमन करते हैं.
प्रयागे माघमासे तुत्र्यहं स्नानस्य यद्रवेत्.
दशाश्वमेघसहस्त्रेण तत्फलं लभते भुवि..
प्रयाग में माघ मास के अन्दर तीन बार स्नान करने से जो फल होता है वह फल पृथ्वी में दस हजार अश्वमेघ यज्ञ करने से भी प्राप्त नहीं होता है.

कल्पवास के लाभ

कल्पवास के दौरान भोर में उठना, पूजा-पाठ करना. दिन में दो बार स्नान और सिर्फ एक बार सात्विक भोजन के साथ बीच में फलाहार करना शरीर के लिए बहुत ही लाभकारी होता है. इससे शरीर के भीतर जमा गंदगी बाहर निकल जाती है और फिर से नवजीवन प्राप्त होता हैं. चिकित्सकों की नजर में कल्पवास से न सिर्फ मनुष्य के शरीर का पाचन तंत्र अनुशासित होता है बल्कि खुद को स्वस्थ रखने का भी यह सबसे बेहतर माध्यम है.

बीमारियों से मु‍क्ति 

आयुर्वेद, यूनानी, और प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति में कल्पवास का खास महत्व है. चिकित्सकों का मानना है कि कल्पवास के दौरान की दिनचर्या व सात्विक खानपान से शरीर को कई बीमारियों से मुक्ति मिलती है. आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा में कल्पवास का बड़ा महत्व है. आयुर्वेद के पंचकर्मों के विधि में कल्पवास भी शामिल है. प्राकतिक चिकित्सा में भी व्रत और उपवास का महत्व बताया गया है. इसे शरीर में ऊर्जा का संचार होता है. सारी चिंताएं दूर हो जाती हैं. एलोपैथ चिकित्सक भी यही सलाह देते हैं कि संयम और संतुलन, नियमित व सीमित खानपान, व्रत और उपवास आदि से पेट की बीमारी और मोटापा जैसे रोग को भगाया जा सकता है. इससे शरीर फुर्तीला होता है.

कल्पवास पर शोध 

कुछ वर्ष पहले हुए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि धार्मिक समागमों में भाग लेने के कारण ‘समान पहचान’ तथा ‘प्रवृत्ति में प्रतिस्पर्धा के बदले सहयोग की भावना’ आने से लोगों में तंदुरुस्ती की भावना और सुख की अनुभूति बढ़ जाती है. यह निष्कर्ष भारत और ब्रिटेन के नौ विश्वविद्यालयों के मनोचिकित्सकों द्वारा किए गए एक अध्ययन में सामने आया. अध्ययन में पांच भारतीय विश्वविद्यालयों एवं चार ब्रिटिश विश्वविद्यालय के मनोचिकित्सक शामिल थे.

अध्ययन के बारे में डंडी विश्वविद्यालय के निक हॉप्किंस ने कहा था कि हमने गंगा-यमुना नदी के तट पर होने वाले वार्षिक माघ मेले में श्रद्धालुओं द्वारा किए जाने वाले तप कल्पवास का अध्ययन किया है. सेंट एंड्रयू विश्वविद्यालय के स्टीफन रिएचर ने कहा कि एक माह तक कठोर एवं बार-बार दोहराई जाने वाली दिनचर्या के कारण कल्पवासियों के रवैए में अस्थायी तौर पर ही सही, बदलाव आता है.

उनका रवैया प्रतिस्पर्धा के बजाय सहयोगात्मक हो जाता है. यह रवैया रेलवे स्टेशन की भीड़ से ठीक विपरीत होता है जहां हर कोई अपनी जगह सुरक्षित करने की फिराक में होता है और हर किसी को धक्का देने को तैयार रहता है. इस तरह के समागमों में भीड़ के अनूठे व्यवहार के मूल में यह बात होती है कि वे अन्य लोगों के बारे में ऐसा सोचते हैं कि वे भी हममें से एक हैं. किसी दूसरे व्यक्ति को अपने में से एक मान लेने की सोच से ही अन्य के प्रति अपने व्यवहार में बदलाव आ जाता है, भले ही वह पूरी तरह से अपरिचित हो.

रिएचर ने कहा कि यही बात संभवत: इस तथ्य का स्पष्टीकरण है कि इस तरह के समागमों से जुड़ी साफ-सफाई की स्थिति और ध्वनि प्रदूषण के बावजूद तीर्थयात्रियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता. हालांकि लॉसेंट जैसी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं ने अपने कई आलेखों में इस तरह के समागमों को स्वास्थ्य के लिए खराब बताया है. उन्होंने कहा कि निस्संदेह मेले के कारण स्वास्थ्य के लिए वास्तविक जोखिम उत्पन्न होते हैं और उनकी अनदेखी करना गलत होगा, लेकिन यह कहानी का केवल एक पक्ष है. निश्चित तौर पर हमारे अध्ययन का यह सबसे महत्वपूर्ण निष्कर्ष निकला कि मेले में भागीदारी करने से लोगों का शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य बेहतर हो जाता है. बेलफास्ट के क्वींस विश्वविद्यालय के क्लिफफोर्ड स्टीवनसन ने कहा कि मेले से हम मानव की तंदुरुस्ती के बारे में बहुत कुछ सीख सकते हैं.

सस्ती कोरोना वैक्सीन के लिए दुनिया की नजर भारत पर: पीएम

न्यूज डेस्क: कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों से कैसे निपटा जाए, इस पर चर्चा के लिए आज पीएम मोदी की अगुवाई में सर्वदलीय बैठक हुई. कोरोना वायरस महामारी से उत्पन्न स्थिति पर चर्चा करने के लिए केंद्र द्वारा आज बुलाई गई सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता पीएम नरेंद्र मोदी किये. माना जा रहा है कि अगले कुछ हफ़्तों में कोरोना की वैक्सीन तैयार हो जाएगी. जैसे ही वैज्ञानिकों की हरी झंडी मिलेगी भारत में टीकाकरण अभियान शुरू कर दिया जाएगा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कोरोना वायरस पर सर्वदलीय बैठक को संबोधित किया. उन्होंने कहा कहा कह अभी अन्य देशों की कई वैक्सीन के नाम हम बाज़ार में सुन रहे हैं लेकिन दुनिया की नज़र कम कीमत वाली, सबसे सुर​क्षित वैक्सीन पर है और इसलिए पूरी दुनिया की नज़र भारत पर भी है. बैठक में पीएम मोदी ने कहा कि क़रीब 8 ऐसी संभावित वैक्सीन हैं जो ट्रायल के अलग-अलग चरण में हैं और जिनका उत्पादन भारत में ही होना है. भारत की अपनी 3 वैक्सीन का ट्रायल अलग-अलग चरणों में है. विशेषज्ञ ये मान रहे हैं कि वैक्सीन के लिए बहुत ज़्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा.

कोविड-19 महामारी शुरू होने के बाद से दूसरी बार सरकार ने कोरोना वायरस से उत्पन्न हालात पर चर्चा के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई है. वायरस के प्रसार को रोकने के लिए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान 20 अप्रैल को पहली बैठक आयोजित हुई थी.

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, गृहमंत्री अमित शाह, स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन, संसदीय कार्यमंत्री प्रहलाद जोशी सहित सरकार के शीर्ष मंत्री बैठक में शामिल हुए. कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी और गुलाम नबी आजाद, तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय और डेरेक ओ ब्रायन, वाईएसआर कांग्रेस के मिधुन रेड्डी और विजयसाई रेड्डी समेत अन्य नेताओं ने बैठक में हिस्सा लिया.

कोरोना वैक्सीन के मामले में दुनिया में भारत बना नंबर वन

न्यूज डेस्क: कोरोना के टीके को लेकर भारत विश्व का अग्रणी राष्ट्र बन गया है. भारत में कोरोना वैक्सीन की खरीद से लेकर भंडारण और वितरण तक का खाका तैयार है. अब तक जो आंकड़े सामने आए हैं, उसके मुताबिक कोरोना वायरस वैक्सीन की बुकिंग के मामले में भारत दुनियाभर में नंबर वन पर है. 30 नवंबर तक के आंकड़ों के अनुसार, कोरोना वैक्‍सीन की ‘कन्‍फर्म डोज’ के बुकिंग के मामले में भारत दुनियाभर में शीर्ष स्थान पर है. भारत अब तक कोरोना वैक्सीन की 160 करोड़ कन्फर्म डोज का ऑर्डर दे चुका है.

ड्यूक यूनिवर्सिटी के लॉन्च एंड स्केल स्पीडोमीटर के आंकड़ों के मुताबिक, भारत ने सबसे अधिक कोविड-19 वैक्सीन ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की बुक की है. भारत ने ऑक्‍सफोर्ड-एस्‍ट्राजेनेका की वैक्‍सीन की 500 मिलियन डोज (50 करोड़) का ऑर्डर दिया है. भारत के साथ-साथ अमेरिका ने भी इतनी डोज का ऑर्डर दिया है. अमेरिका ने भी ऑक्‍सफोर्ड-एस्‍ट्राजेनेका की वैक्‍सीन के 500 मिलियन डोज का आर्डर दिया है. ऑक्‍सफोर्ड-एस्‍ट्राजेनेका की वैक्‍सीन को भारत, अमेरिका के अलावा यूरोपीय यूनियन समेत कई देशों ने बुक कर रखा है.

किससे कितनी वैक्सीन खरीद रहा कौन

ऑक्‍सफोर्ड-एस्‍ट्राजेनेका की वैक्सीन: भारत ने इसके 500 मिलियन डोज (50 करोड़) की बुकिंग की है. भारत के जितने ही अमेरिका ने भी वैक्सीन का ऑर्डर दिया है. वहीं यूरोपीय यूनियन ने 400 मिलियन डोज की बुकिंग की है. ब्रिटेन की बात करें तो इसने 100 मिलियन वैक्सीन के डोज की बुकिंग की है और कनाडा ने 20 मिलिनय का ऑर्डर दिया है. ड्यूक यूनिवर्सिटी ने जो आंकड़ा जारी किया है, उसमें सिर्फ ऑक्‍सफोर्ड-एस्‍ट्राजेनेका की ही एकमात्र वैक्सीन है, जिसका ऑर्डर लगभग सभी ने दिया है. इन देशों को मिलाकर देखें तो सबसे अधिक 1.5 बिलियन (150 करोड़) वैक्सीन डोज ऑक्सफोर्ड की ही बुक हैं. बता दें कि इस वैक्सीन का ट्रायल भारत में सीरम इंस्टीट्यूट कर रहा है.

नोवावैक्स की वैक्सीन: भारत ने नोवावैक्स को वैक्सीन की 1 बिलियन डोज का ऑर्डर दिया है. हालांकि, अमेरिका इससे वैक्सीन नहीं खरीद रहा है. यूरोपीय यूनियन ने 110 मिलियन डोज का ऑर्डर दिया है, वहीं कनाडा ने 76 मिलिनय और ब्रिटेन ने 60 मिलिनय वैक्सीन के डोज का ऑर्डर दिया है. इस तरह से इसे कुल 1.2 बिलियन वैक्सीन का ऑर्डर मिला है.

गमालेया की स्पुतनिक-5 वैक्सीन: भारत ने रूसी कोरोना वैक्‍सीन स्पुतनिक-V वैक्‍सीन की 100 मिलियन यानी 10 करोड़ डोज बुक कर रखी है. फिलहाल रूसी वैक्सीन का अंतिम ट्रायल भारत में हो रहा है और इसका हैदराबाद की डॉ रेड्डी के साथ ट्रायल के लिए समझौता हुआ है. रूस की वैक्सीन को भारत के अलावा, अब तक किसी देश ने बुक नहीं किया है. बता दें कि स्पुतनिक-5 को गामलेया रिसर्च इंस्टिट्यूट ने विकसित किया है, जिसे लेकर अगस्त में ऐलान हुआ था.

सनोफी-जीएसके की वैक्सीन: भारत ने कोरोना वैक्सीन को लेकर इससे अब तक कोई करार नहीं किया है. हालांकि, अमेरिका, यूरोपीय यूनियन, कनाडा और ब्रिटेन ने इसके वैक्सीन की डोज का ऑर्डर दे रखा है.

फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन: ब्रिटेन ने फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन को अपने देश में मंजूरी दे दी है और इसके 40 मिलियन डोज का ऑर्डर भी दे रखा है. हालांकि, भारत ने इसक वैक्सीन की बुकिंग अभी तक नहीं की है. अमेरिका ने 100 मिलियन यानी 10 करोड़ डोज की बुकिंग की है. वहीं, यूरोपीय यूनियन ने 300 मिलियन और कनाडा ने 20 मिलियन ने ऑर्डर दे रखा है. इस तरह से इस कंपनी के वैक्सीन की 460 मिलियन डोज की बुकिंग हो चुकी है.

मॉडर्ना की वैक्सीन: वैक्सीन कैंडिडेट्स मॉडर्ना भी रेस में आगे चल रही है, मगर भारत ने अब तक इसके कन्फर्म वैक्सीन की बुकिंग नहीं की है. हालांकि, यूरोपीय यूनियन ने 160 मिलियन डोज का ऑर्डर दिया है और कनाडा ने 56 मिलियन का. मगर यहां यह भी जानने वाली बात है कि अमेरिका ने भी इसकी बुकिंग नहीं की है.

यहां ध्यान देने वाली बात है कि ये सभी वैक्सीन के ऑर्डर कन्फर्म वैक्सीन को लेकर हैं. जब इन सबकी वैक्सीन पूरी तरह से ग्लोबली मंजूर हो जाएगी, तब ये सभी कंपनियां ऑर्डर के हिसाब से उन देशों को सप्लाई करेंगी, जिन्होंने पहले से बुक कर रखा है. इस तरह से अगर आंकड़ों पर गौर किया जाए तो भारत अब तक दुनियाभर में सबसे अधिक 1.6 बिलियन यानी 60 करोड़ वैक्‍सीन का ऑर्डर दे चुका है.

किसानों संग वार्ता में कई बिंदुओं पर सहमति, शनिवार को फिर होगी बैठक

न्यूज डेस्क: कृषि कानूनों के विरोध में करीब आठ घंटे के बाद केंद्र सरकार और किसानों के बीच बैठक खत्‍म हुई है. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि बातचीत सौहार्द्रपूर्ण वातावरण में हुई. कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों के साथ इस विषय पर ये चौथे चरण की बैठक थी. उन्होंने बताया कि शनिवार दोपहर 2 बजे यूनियन के साथ फिर से बैठक होनी है और शायद उस दिन हम किसी निर्णय पर होंगे. कृषि मंत्री से जब किसानों के आंदोलने समाप्त करने को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने बताया कि आज हुई बैठक में इस विषय पर कोई चर्चा नहीं हुई.

किसान नेताओं के साथ लगभग 8 घंटे तक चली मैराथन बैठक के बाद कृषि मंत्री मीडिया से कहा, “सरकार खुले मन से किसानों के साथ चर्चा कर रही है. किसानों के साथ आज चौथे चरण की बैठक हुई. आज सौहार्दपूर्ण माहौल में बैठक हुई. किसानों और सरकार ने अपना-अपना पक्ष रखा है.दो-तीन बिंदुओं पर किसानों की चिंता थी, हम हर मुद्दे पर खुले मन से बात कर रहे हैं, हमारा कोइ अहम नहीं है. मंडियों को सशक्‍त बनाने पर विचार हुआ. ट्रेडर का रजिस्ट्रेशन हो यह हम सुनिश्चित करेंगे.”

कृषि मंत्री आगे कहा, ” कोई विवाद होने पर एसडीएम कोर्ट या न्यायालय रहे ये यूनियन की चिंता थी. इस पर विचार करने के लिए हम पूरी तरह तैयार है. पराली के विषय पर ऑर्डिनेंस को लेकर किसानों की शंका है, विद्युत एक्ट को लेकर शंका है, उस पर भी सरकार बातचीत करने के लिए तैयार है. एक्ट के जो प्रावधान है उसमें किसानों को पूरी तरह से सुरक्षा प्रदान की गई है. फिर भी लोगों को शंका है तो उसका समाधान निकालने के लिए सरकार तैयार है.”

उन्‍होंने कहा कि न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य के बारे में किसानों की चिंता है. यह पहले भी जारी था, जारी है और आगे भी रहेगा. कृषि मंत्री ने कहा कि परसों यानी 5 दिसंबर को दोपहर को दोनों पक्षों की फिर बातचीत होनी है और उम्‍मीद है कि हम किसी सर्वसम्‍मत समाधान पर पहुंचेंगे. कृषि मंत्री पीयूष गोयल भी इस बैठक में सरकार की ओर से उपस्थित थे.

कृषि मंत्री ने किसानों के आंदोलन को लेकर कहा, “आंदोलन समाप्त करने के लिए विषय पर कोई बात आज नहीं हुई. मैं किसानों से आग्रह करता हूं कि सर्दी को देखते हुए किसान भाई आंदोलन समाप्त करें. बातचीत का सिलसिला जारी है. बातचीत के दरवाजे बंद नहीं है इसलिए किसानों से आंदोलन समाप्त करने की अपील करता हूं. ताकि दिल्ली के लोगों को जो परेशानी हो रही है वो भी दूर हो.”

वहीं दूसरी तरफ इस बैठक के बाद किसान नेताओं ने कहा है, “आंदोलन वापसी का कोई सवाल नहीं है. आज सरकार ने बातचीत की कोशिश की है लेकिन हमारी मांग है कि कानून वापस होना चाहिए. सरकार संशोधन की कोशिश में लगी है. सरकार ने विचार को लिए एक दिन का वक्त मांगा है. कल सुबह 11 बजे सभी किसान संगठनों की बैठक होगी. “

कंगना ने दिलजीत को कहा- उछल मत पालतू, तेरे जैसों की चमची नहीं फिर…

न्यूज डेस्क: दिल्ली में जब से किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है, एक्ट्रेस कंगना रनौत भी इस मुद्दे पर खुलकर अपने विचार रख रही हैं. वे इतनी ज्यादा सक्रिय हो गई हैं कि उनके कई ट्वीट पर अब बवाल होने लगा है. कंगना ने हाल ही में किए एक ट्वीट में शाहीन बाग वाली दादी को लेकर विवादित टिप्पणी कर दी थी. पहले तो उन्होंने दावा किया कि वो दादी किसानों के प्रदर्शन में शामिल हुईं और बाद में उन्होंने कह दिया कि ये 100 रुपये के लिए कहीं भी आ जा सकती हैं. बाद में एक्ट्रेस ने इस ट्वीट को डिलीट कर दिया था.

लेकिन क्योंकि तीर तो कमान से निकाल चुका था, इसलिए कंगना के उस ट्वीट पर सिंगर और एक्टर दिलजीत दोसांझ ने जोरदार पलटवार किया. उन्होंने कंगना के दावों को गलत बताते हुए एक वीडियो शेयर किया. महिंदर कौर नाम की एक बूढ़ी दादी का वीडियो शेयर करते हुए दिलजीत ने लिखा- बंदे को इतना अंधा भी नहीं होना चाहिए. कुछ भी नहीं बोलना चाहिए. ये रहा पूरा सबूत.

अब इस ट्वीट के जरिए दिलजीत ने कंगना रनौत को आईना दिखाने की कोशिश की. लेकिन एक्टर की ये कोशिश एक्ट्रेस को पसंद नहीं आई. दिलजीत के एक ट्वीट बाद ही कंगना ने उन पर निजी हमला कर दिया.

कंगना रनौत ने दिलजीत को करण जौहर का पालतू बता दिया. ट्वीट कर कंगना ने लिखा- ओ करण जौहर के पालतू, जो शाहीन बाग में नागरिकता कानून के समय विरोध कर रही थीं, वो बिलकिस बानो दादी जी थी. वहीं बाद में किसानों के साथ भी धरना देती दिख गईं. महिंदर कौर जी को तो मैं जानती भी नहीं हूं. क्या ड्रामा चलाया है तुमने ये.

अब कंगना की इस सफाई के बाद दिलजीत ने फिर एक्ट्रेस पर पलटवार किया. कंगना का उन्हें पालतू कहना रास नहीं आया और उन्होंने इस पर रिएक्ट करते हुए लिखा- तूने जितने लोगों के साथ फिल्म की है, क्या तू सभी की पालतू है?

दिलजीत ने आगे लिखा- झूठ बोलना और फिर लोगों को भड़काना, उनकी भावनाओं के साथ खेलना, ये सब तो आप अच्छे से जानती हैं कंगना जी. दिलजीत के इस पलटवार पर कंगना का गुस्सा सांतवे आसमान पर पहुंच गया.

कंगना ने दिलजीत को चमचा बताते हुए ट्वीट किया- ओ चमचे तू जितनों की चाट-चाट के काम लेता है, ज्यादा मत उछल, मैं कंगना रनौत हूं, तेरे जैसों की चमची नहीं हूं.
वहीं एक और ट्वीट में कंगना ने हर उस शख्स को चेतावनी दे दी जो उन्हें बदनाम करने की कोशिश करते हैं. ट्वीट में कंगना ने लिखा- सुनो गिद्दों मेरी ख़ामोशी को मेरी कमज़ोरी मत समझना, मैं सब देख रही हूं किस किस तरह से तुम झूठ बोलकर मासूमों को भड़का रहे हो और उनको इस्तेमाल कर रहे हो.

कंगना आगे लिखती हैं- जब शाहीन बाग की तरह इन धरनों का रहस्य खुलेगा तो मैं एक शानदार स्पीच लिखूंगी और तुम लोगों का मुंह काला करूंगी. कंगना का ये ट्वीट वायरल हो चुका है.

लगातार दूसरे दिन क्यों महंगा हुआ चांदी-सोना

न्यूज डेस्क: वैश्विक बाजारों में चमक के बाद राष्ट्रीय राजधानी में लगातार दूसरे दिन भी पीली धातु के भाव में इजाफा हुआ. गुरुवार को दिल्ली सर्राफा बाजार में सोने के साथ चांदी की कीमतों में भी तेजी दर्ज की गई है. एचडीएफसी सिक्योरिटीज ने आज के भाव के बारे में जानकारी दी है. अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी तेजी देखने को​ मिल रही है. इसके पहले बुधवार को घरेलू बाजार में सोने-चांदी के भाव चढ़े हैं.

दिल्ली सर्राफा बाजार में गुरुवार को सोना 481 रुपये प्रति 10 ग्राम महंगा हुआ. इसके बाद सोने का नया भाव अब 48,887 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया. इसके पहले बुधवार को सोने का भाव 48,406 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर पहुंच गया था. अंतरराष्ट्रीय बाजार में आज सोना 1,841 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार करते नजर आया.

इसी प्रकार गुरुवार को चांदी की चमक भी बढ़ी है. आज दिल्ली सर्राफा बाजार में चांदी का भाव 555 रुपये प्रति किलोग्राम चढ़कर 63,502 रुपये पर पहुंच गया. इसके पहले प्रति किलो चांदी का भाव 62,947 रुपये पर था. अंतरराष्ट्रीय बाजार में चांदी का भाव आज 24.16 डॉलर प्रति औंस पर रहा.

यह है तेजी के कारण

आज दोनों कीमती धातुओं के महंगे होने के पर एचडीएफसी सिक्योरिटीज के सीनियर एनालिस्ट कमोडिटीज तपन पटेल ने कहा कि अमेरिका और यूरोपीय संघ द्वारा प्रोत्साहन पैकेज की उम्मीद में सोना महंगा हुआ है. दूसरी ओर कोविड-19 वैक्सीन के मोर्चे पर भी उम्मीद बढ़ी है. कीमती धातुओं के भाव को इससे भी सपोर्ट मिला है.

बंगाल में सरकारी कर्मचारियों पर बरसी सीएम की ममता

न्यूज डेस्क: पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने में अब चार महीने ही शेष हैं. बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने आर्थिक बदहाली के बावजूद सरकारी कर्मियों की नाराजगी दूर करने का प्रयास किया है. सरकारी कर्मचारियों के लिए अगले महीने से महंगाई भत्ते में तीन फीसदी की बढ़ोतरी की घोषणा करते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को कहा कि अपने कर्मचारियों के लिए राज्य का कोष कभी नहीं सूखेगा, भले ही उसे केंद्र सरकार से बकाया 85 हजार करोड़ रुपये की रकम मिलनी शेष है.

ममता बनर्जी ने तृणमूल कांग्रेस से संबद्ध सरकारी कर्मचारियों के संगठन को राज्य सचिवालय में संबोधित करते हुए कहा कि बंगाल का केंद्र के पास यूजीसी अनुदान, जीएसटी और कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई सहित विभिन्न मदों में बकाया है. उन्होंने कहा, ‘‘हमें वित्तीय बकाया नहीं मिल रहा है. जीएसटी के मद में करीब आठ हजार करोड़ रुपये का बकाया है. वित्तीय संकट के बावजूद हमने पिछले सभी वेतन आयोगों की अनुशंसाओं को पूरा किया. हम जनवरी 2021 से तीन फीसदी महंगाई भत्ता भी देंगे.’’

बनर्जी ने कहा कि इससे राज्य के खजाने पर 2200 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा. उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र ने 85 हजार करोड़ रुपये से अधिक के बकाये का भुगतान नहीं किया है लेकिन इससे हमें लोगों को उनका बकाया देने से नहीं रोका जा सकता.’’ मुख्यमंत्री ने कहा कि 14 हजार उच्चतर माध्यमिक स्कूलों और 636 मदरसों के 9.5 लाख विद्यार्थियों को उनकी ऑनलाइन कक्षाओं के लिए नि:शुल्क टैबलेट दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि राज्य ने 950 रुपये की दर से आरटी-पीसीआर जांच की व्यवस्था सुनिश्चित की है.

स्‍टैचू ऑफ यूनिटी की टिकट बिक्री से मिले 5 करोड़ कहां गये जानिये

न्यूज डेस्क: सरदार पटेल की प्रतिमा स्‍टैचू ऑफ यूनिटी की टिकट बिक्री से जमा पैसों के गबन मामले में गुजरात पुलिस ने एक एफआईआर दर्ज की है. पैसे जमा करने वाली एजेंसी के कुछ कर्मचारियों पर आरोप है कि उन्‍होंने नवंबर 2018 से मार्च 2020 के बीच 5.24 करोड़ रुपये बैंक में जमा नहीं किए.

पुलिस उपाधीक्षक वाणी दूधत ने संवाददाताओं को बताया कि बैंक में स्टैचू ऑफ यूनिटी प्रबंधन के दो खाते हैं. बैंक ने नर्मदा जिले के केवडिया स्थित दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति के प्रबंधन से रोजाना नकद लेकर उसे अगले दिन बैंक में जमा कराने के लिए एक एजेंसी की सेवाएं ली थी. उन्होंने बताया, ‘पहली नजर में पता चला है कि एजेंसी के कुछ कर्मचारियों ने नवंबर 2018 से मार्च 2020 के बीच स्टैचू ऑफ यूनिटी प्रबंधन की 5,24,77,375 रुपये की राशि बैंक में जमा नहीं कराई.’

इसके बाद निजी बैंक के प्रबंधक ने सोमवार रात को केवडिया पुलिस थाने में नकदी जमा करने वाली एजेंसी के साथ-साथ अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है. पुलिस ने मामले में आईपीसी की धारा-420 (धोखाधड़ी), धारा-406 (विश्वास भंग) और धारा-120बी (आपराधिक साजिश) के तहत एफआईआर दर्ज की है. हालांकि, अबतक किसी की गिरफ्तारी नहीं की गई है.

इस बीच, स्टैचू ऑफ यूनिटी प्रबंधन ने बुधवार को कहा कि बैंक ने उसके खाते में 5.24 करोड़ रुपये जमा करा दिए हैं. प्रबंधन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बयान में कहा, ‘यह बैंक और नकद एकत्र करने वाली एजेंसी के बीच का मामला है. बैंक ने पहले ही हमारी राशि खाते में जमा करा दी है.’

देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की यह प्रतिमा दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है और इसे स्टैचू ऑफ यूनिटी के नाम से जाना जाता है. अक्टूबर 2018 में उद्घाटन के बाद से ही यह पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है. इस स्मारक के साथ बना चिल्ड्रेन न्यूट्रिशन पार्क और कैक्टस गार्डन अन्य आकर्षणों में एक है. इसके साथ ही नर्मना नदी में रिवर राफ्टिंग की सुविधा भी उपलब्ध है.

लॉकडाउन से पहले लोगों के पास ऑनलाइन के साथ-साथ टिकट खिड़की पर नकद देकर टिकट खरीदने का भी विकल्प मौजूद था. पिछले साल दिसंबर में गुजरात के मुख्यमंत्री नितिन पटेल ने विधानसभा को बताया कि स्टैचू ऑफ यूनिटी प्रबंधन ने एक नवंबर 2018 से 16 नवंबर 2019 के बीच 85.51 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त किया. हालांकि, नवंबर 2019 से मार्च 2020 के राजस्व संबंधी आंकड़े जारी नहीं किए गए हैं. इस मामले में दर्ज एफआईआर के मुताबिक, बैंक वर्ष 2003 से नकद को एकत्र कर जमा कराने के लिए एजेंसी की सेवाएं ले रहा था.

बैंक ने उसी एजेंसी को स्टैचू ऑफ यूनिटी प्रबंधन से, टिकटों की बिक्री से मिलने वाले नकद को लेकर उनके दो खातों में जमा कराने की जिम्मेदारी दी थी. उन्होंने बताया, ‘हाल में स्टैचू ऑफ यूनिटी के अधिकारियों ने लेखापरीक्षण किया और जमा पर्ची में दर्शाई राशि और खाते में जमा राशि में अतंर पाया जिसके बाद इस गबन का खुलासा हुआ.’