अफवाह नहीं हकीकत
सिक्खों के नौंवे गुरु तेगबहादुर जी की पुण्यतिथि पर बिना किसी औपचारिक तामझाम या पूर्व घोषणा के एक आम हिन्दू के रुप में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब पहुँचे और गुरु के सामने शीश नवा कर उनका आशीर्वाद लिया.
क्रूर निर्दयी मुसलमान शासक औरंगबेज हिन्दुओं पर अत्यधिक अत्याचार करने के लिए जाना जाता है. उसने कश्मीर के हिन्दुओं पर अत्याचार की अति कर दी थी. ऐरी परिस्थिति में नौंवे सिख्ख गुरु तेगबहादुर ने उनकी रक्षा करने का संकल्प लिया. गुरु तेगहादुर के प्रयासों से कश्मीरी हिन्दुओं में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ता देख औरंगजेब ने छल रच कर वार्चालाप के लिए दिल्ली आने का संदेशा भेजा.
जब गुरु तेगबहादुर दिल्ली आए तो उनको साथियों समेत गिरफ्तार कर लिया गया. उनके साथी भाई मति दास को टुकड़े टुकड़े कर दिया गया पर वह मुसलमान बनने को तैयार नहीं हुए. उनके बाद भाई दयाल दास को खौलते पानी की कढ़ाही में जीते जी उबाला गया पर उन्होंने मुसलमान होना स्वीकार नहीं किया. गुरु तेगबहादुर के तीसरे साथी भाई सती दास को भी मुसलमान होना अस्वीकार करने पर जिन्दा जला दिया गया. ये सारे अत्याचार एक खिड़की से देखने के लिये कैदी गुरु तेगबहादुर को विवश किया गया जिससे उनका साहस टूटे और बह मुसलमान होना स्बीकार कर लें. पर गुरु तेग बहादुर ने तब भी अपना धर्म नहीं त्यागा. इसके बाद मुसलमान अत्याचारी औरंगजेब के आदेश पर 54 वर्ष के गुरु तेगबहादुर का शीश 19 दिसम्बर 1675 के दिन सार्वजनिक रुप से धड़ से अलग कर दिया गया था.