हिन्दू राष्ट्र

अफवाह नहीं हकीकत

मुस्लिमों का करें आर्थिक व सामाजिक बहिष्कार

पश्चिम बंगाल में आयोजित हिंदू पंचायत में बोले स्वामी आनंद स्वरूप

लोकनाथ तिवारी

कोलकाताः भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की मुहिम चलानेवाले स्वामी आनंद स्वरूप ने कहा कि मुस्लिमों का आर्थिक व सामाजिक बहिष्कार करें। उनकी दुकानों से कोई सामान नहीं खरीदें। उनको अपने घर के आयोजनों में आमंत्रित नहीं करें।पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले में आयोजित हिंदू पंचायत में स्वामी आनंद स्वरूप ने कहा कि किसी होटल या ढाबे आदि में यदि कोई मुस्लिम वेटर हो तो उसके हाथों खाना लेने से स्पष्ट इनकार करें। अगर मुस्लिम भरोसा करने के लिए कसम खाए तो भी उस पर विश्वास मत करो, इतिहास इनकी धोखेबाजी से भरा पड़ा है, इनसे दोस्ती करने पर ये दगा करते हैं। उन्होंने कहा कि शंकराचार्य परिषद का उद्देश्य इस्लाम मुक्त विश्व बनाना है।
हिंदुओं का एक वोट भी मुस्लिमों को नहीं मिले
हिंदुओं का एक भी वोट मुसलमान उम्मीदवारों को नहीं मिलना चाहिए। जितने राजनीतिक दल या उनके नेता हैं वे अंकों के लिए काम करते हैं। वोट बैंक की राजनीति करते हैं। ऐसा नहीं होता तो हिंदुओं को वोट पाकर देश का सत्ता पर विराजमान नरेंद्र मोदी का पार्टी पश्चिम बंगाल में मुसलमानों को अपना उम्मीदवार क्यों बनाती। पश्चिम बंगाल में बीजेपी की ओर से मुस्लिमों को उम्मीदवार बनाये जाने की कड़ी आलोचना करते हुए स्वामी जी ने कहा कि उनको भारी मतों से पराजित कर हिंदू अपनी शक्ति व एकता का परिचय दें। सारे राजनेता राजनीतिक मदारी हैं। वे डमरू लेकर निल पड़े हैं। हमें उसी को वोट देना चाहिए जो लिखित तौर पर दे कि वह हिंदू राष्ट्र बनाने का समर्थन देगा।
भारत को बनाना होगा हिंदू राष्ट्र
स्वामी आनंद स्वरूप ने कहा, सन 1947 में भारत से इस्लाम के नाम पर एक राष्ट्र अलग हो गया। अब भारत को अब हिंदू राष्ट्र बनाना होगा। शंकराचार्य परिषद भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए देश में अभियान चलाएगी। परिषद गांव-गांव जाकर जाति तोड़ो हिंदू जोड़ो अभियान चलाकर हिंदुओं को एकजुट करेगी। देश में अनुकूल समय आने पर उसी तरह हिंदू राष्ट्र की स्थापना होगी, 2025 तक भारत हिंदू राष्ट्र घोषित हो जायेगा।
80 फीसदी पर 20 फीसदी भारी क्यों
हिंदू महा पंचायत से प्राचीन भारत का पुनर्निमाण हो सकेगा। आज देश जातिवाद में जकड़ा है। इसी को तोड़ना है। उन्होंने कहा कि जन्म से सभी शूद्र होते हैं। शूद्र से ब्राह्मण बनने की प्रक्रिया ही जीवन है। इस प्रक्रिया में मतभेद का ही नतीजा है कि आज 20 फीसदी वाले 80 फीसदी पर भारी पड़ रहे हैं। बंगाल में जालीदार टोपी पहन कर मोटरसाइकिल चलानेवालों को पुलिस भी नहीं पकड़ती जबकि हिंदू अपनी पत्नी को लेकर भी कहीं जा रहा हो तो पुलिस वाले जुर्माना वसूल लेते हैं। स्वामी जी ने कहा कि शंकराचार्य परिषद इसके खिलाफ हिंदुओं को एकजुट करने के लिए जाति तोड़ो- हिंदू जोड़ो अभियान चला रही है।
देश में आज 9 राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हो गये हैं। 19 में वे समान-समान हैं ऐसे में खतरे की घंटी स्पष्ट दिखाई व सुनाई दे रही है। स्वामी जी ने कहा कि शंकराचार्य परिषद उन लोगों की घर वापसी भी करा रही है जिन्होंने मुगलों व अंग्रेजों के अत्याचार और स्वतंत्र भारत में किन्ही कारणों से अपना धर्म बदल लिया था। स्वामी आनंद स्वरूप ने कहा कि मुसलमानों के एजेंडे में लव जिहाद शामिल है। हमें उनसे सावधान रहना चाहिए।

किसानों का आंदोलन क्यों हुआ तेज- 8 दिसंबर को करेंगे भारत बंद !

न्यूज डेस्क: केंद्र सरकार और प्रदर्शनकारी किसानों के बीच नए कृषि कानूनों पर सहमति नहीं बन पा रही है. इस बीच किसानों ने केंद्र पर दबाव बढ़ाने के लिए आंदोलन तेज करने का मन बनाया है. किसानों का कहना है कि अगर केंद्र सरकार ने उनकी मांग नहीं मानी तो 8 दिसंबर को भारत बंद किया जाएगा. वहीं, किसान नेता हरविंदर सिंह लखवाल ने कहा कि दिल्ली की बाकी सड़कों को भी अवरुद्ध करने की योजना बनाई गई है. वहीं, शनिवार को मोदी सरकार और कॉर्पोरेट घरानों के पुतले फूंकने का भी ऐलान किया गया है.

दिल्ली-गाजियाबाद बॉर्डर पर प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे किसान नेता राकेश टिकैत ने 8 तारीख के भारत बंद का आह्वान करते हुए गणतंत्र दिवस परेड में किसानों की भागीदारी की मांग की. उन्होंने कहा, ‘8 तारीख को पूरा भारत बंद रहेगा. इस बार 26 जनवरी की परेड में किसानों के पूरे सिस्टम को शामिल किया जाए. ट्रैक्टर हमेशा उबड़-खाबड़ ज़मीन पर ही चला है उसे भी राजपथ की मखमली सड़क पर चलने का मौका मिलना चाहिए.’

उधर, सिंघु बॉर्डर पर डटे अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने साफ कहा कि भारत सरकार का कोई भी संशोधन स्वीकार नहीं किया जाएगा. उन्होंने किसान आंदोलन को सिर्फ पंजाब का आंदोलन कहे जाने पर रोष प्रकट किया. मोल्लाह ने कहा, ‘इसे सिर्फ पंजाब आंदोलन बोलना सरकार की साजिश है, मगर आज किसानों ने दिखाया कि ये आंदोलन पूरे भारत में हो रहा है और आगे भी होगा. हमने फैसला लिया है कि अगर सरकार कल कोई संशोधन रखेगी तो हम संशोधन स्वीकार नहीं करेंगे.’

इसी प्रदर्शन स्थल पर भारतीय किसान यूनियन (BKU) ने शनिवार को पुतला दहन कार्यक्रम का ऐलान किया. यूनियन के महासचिव ने कहा, ‘5 दिसंबर को मोदी सरकार और कॉर्पोरेट घरानों के पुतले पूरे देश में फूंके जाएंगे. 7 तारीख को सभी वीर अपने मेडलों को वापिस करेंगे. 8 तारीख को हमने भारत बंद का आह्वान किया है व एक दिन के लिए सभी टोल प्लाजा फ्री कर दिए जाएंगे.’

किसान आंदोलन पर किसने क्या कहा

इधर, किसान आंदोलन पर हरेक दल की तरफ से अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने की कोशिशें भी तेज हो रही हैं. विपक्षी पार्टियों को इस समय केंद्र सरकार को बैकफुट पर लाने का एक बड़ा मौका दिख रहा है. इसलिए, उनमें किसानों का समर्थन पाने की होड़ दिख रही है. इसी सिलसिले में वो एक-दूसरे पर आरोप भी लगा रहे हैं. दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री और आप नेता मनीष सिसोदिया ने शुक्रवार को पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह पर हमला बोला. उन्होंने कहा, ‘वो (कैप्टन अमरिंदर सिंह) पंजाब के किसानों को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बता रहे हैं. पंजाब के मुख्यमंत्री आज बीजेपी के मुख्यमंत्री की तरह व्यवहार कर रहे हैं.’

उन्होंने किसानों के मुद्दे पर केंद्र सरकार को भी निशाने पर लिया. सिसोदिया ने कहा, ‘ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश के किसानों की आवाज दबा के केंद्र सरकार और कांग्रेस राजनीति कर रही है. कल कैप्टन अमरिंदर सिंह भाजपा के नेताओं से मिलते हैं, जो कहने के लिए पंजाब के मुख्यमंत्री हैं और बीजेपी का बचाव करते हैं.’ अमरिंदर पर इसी तरह का हमला आप के अन्य नेता और स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन एवं पार्टी प्रवक्ता राघव चड्ढा ने भी किया.

उधर, दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने किसानों का हितैषी बताने की होड़ में कहा, ‘आज मैंने सिंघु बॉर्डर पर किसानों के लिए की गई व्यवस्थाओं का जायज़ा लिया. बॉर्डर पर 300 से ज्यादा टॉयलेट दिल्ली सरकार ने लगाए हैं, पानी के लिए सौ से अधिक टैंकर और एंबुलेंस की व्यवस्था भी की गई है. सभी व्यवस्थाएं संतोषजनक है.’
वहीं, समाजवादी पार्टी (SP) के रामगोपाल यादव ने कहा, ‘सभी जानते हैं कि यह कानून किसानों की तकदीर को सील करने वाले हैं. सारी मंडियां खत्म हो जाएंगी. बड़े-बड़े लोग आकर मंडियां बना लेंगे और जब उनका एकाधिकार हो जाएगा तब वे किसानों की फसल को मनचाहे दाम पर खरीदेंगे. देश के सिस्टम को सरकार ने चंद लोगों को दे दिया है.’

किसान आंदोलन से राज्यों की राजनीति भी गरमा रही है. हरियाणा के पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने राज्यपाल से विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर डाली. हुड्डा ने कहा, ‘हरियाणा के राज्यपाल से आग्रह है कि वो विशेष सभा सत्र बुलाए और किसानों की समस्या पर चर्चा करें. सभा में हम अविश्वास प्रस्ताव पेश करेंगे क्योंकि जो मौजूदा सरकार है वो लोगों का और विधान सभा का विश्वास खो चुकी है.’

वहीं, राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने कहा, ‘किसानों की बात केंद्र सरकार ने नहीं सुनी जिसके कारण आज किसान पूरे देश में आंदोलन कर रहे हैं. लोकतंत्र के अंदर संवाद सरकार के साथ इस प्रकार कायम रहते तो यह चक्का जाम के हालात नहीं बनते एवं आम जन को तकलीफ का सामना नहीं करना पड़ता.’

इधर, टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन शुक्रवार को सिंघु बॉर्डर पहुंचे और कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों से मिले. उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने फोन पर किसानों से बात की और उनका समर्थन किया. उधर, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) ने केंद्र सरकार पर अड़ियल होने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, ‘किसानों की मांग है कि जो कानून बनाए गए है उन्हें निरस्त करने का काम किया जाए. MSP को लेकर क़ानून बनाया जाए. BJP हमेशा से किसानों की पार्टी नहीं रही,किसानों के माल की लूट करने वालों की पार्टी रही है. BJP को अपना अड़ियल रवैया छोड़कर किसानों की मांग को पूरा करना चाहिए.’

अयोध्या को लेकर अक्षय का खास प्लान, बनेगा रामसेतु

न्यूज डेस्क: बॉलीवुड के स्टार अक्षय कुमार ने फिल्म सिटी के सिलसिले में यूपी सीएम से मुलाकात तो की ही थी. अब पता चला है कि अक्षय कुमार ने यूपी के लिए कुछ खास प्लान कर रखा है. वह अपनी अपकमिंग फिल्म राम सेतु की शूटिंग देश के सबसे बड़े राज्य में करना चाहते हैं. इस सिलसिले में उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बातचती भी की है. मुख्यमंत्री ऑफिस की तरफ से जारी बयान में बताया गया है- एक्टर अक्षय कुमार ने सीएम योगी आदित्यनाथ से अयोध्या में फिल्म राम सेतु की शूटिंग की इजाजत मांगी है.

उत्तर प्रदेश में बनने जा रही भव्य फिल्म सिटी को लेकर काफी उत्सुकता देखने को मिल रही है. विश्वस्तरीय फिल्म सिटी बनाने का ऐलान कर चुके सीएम योगी आदित्यनाथ अपने इस मिशन पर तेजी से जुट गए हैं. हाल ही में उन्होंने अपने मुंबई दौरे पर कई सेलेब्स से मुलाकात भी की थी. इसी कड़ी में उनकी मुलाकात बॉलीवुड के खिलाड़ी अक्षय कुमार से भी हुई थी.

यूपी फिल्म सिटी पर जोरदार चर्चा

अब इस मुद्दे पर जैसा सीएम योगी रवैया रहा है , उसे देखते हुए कहा जा रहा है कि अक्षय कुमार को इजाजत मिलने में ज्यादा देर नहीं लगेगी. वहीं और भी कई फिल्मों की शूटिंग यहां पर होती दिख जाएंगी. जब से यूपी में फिल्म सिटी बनाने का ऐलान किया गया है, रवि किशन से लेकर मनोज तिवारी तक, सभी ने कई बड़े सपने दिखा दिए हैं. कोई वहां पर भोजपुरी सिनेमा का विस्तार करना चाहता है, तो कोई विश्वस्तरीय टेक्नोलॉजी उपलब्ध करवाना चाहता है. वैसे हाल ही में मिली जानकारी के मुताबिक फिल्म सिटी के सिलसिले में सीएम योगी की अजय देवगन और गोविंदा से भी मुलाकात संभव है. वे भी इस मुद्दे पर सीएम के सामने अपने विचार रख सकते हैं. उस मुलाकात के बाद हो सकता है कि अजय देवगन की किसी फिल्म की शूटिंग भी यूपी में होती दिख जाए.

ईडी ने जब्त की विजय माल्या की 14 करोड़ की प्रॉपर्टी

न्यूज डेस्क: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को बताया कि धन शोधन रोधी कानून के तहत फ्रांस में व्यवसायी विजय माल्या की 14 करोड़ रुपए मूल्य की संपत्ति को जब्त किया गया है. ईडी ने कहा कि फ्रांसीसी अधिकारियों द्वारा प्रवर्तन निदेशालय के अनुरोध पर कार्रवाई की गई और संपत्ति फ्रांस में 32 एवेन्यू एफओसीएच में स्थित है. केन्द्रीय जांच एजेंसी ने एक बयान में बताया कि जब्त की गई संपत्ति का मूल्य लगभग 14 करोड़ रुपए है.

इसमें कहा गया है कि धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत जांच में खुलासा हुआ था कि संपत्ति के निर्माण के लिए किंगफिशर एयरलाइंस लिमिटेड (केएएल) के एक खाते से एक बड़ी राशि विदेश भेजी गई थी. माल्या फिलहाल लंदन में हैं और भारत लगातार उनके प्रत्यर्पण की कोशिश कर रहा है.

धन शोधन और धोखाधड़ी के मामलों का सामना करने के लिए भारत प्रत्यर्पित किए जाने के खिलाफ ब्रिटेन के उच्चतम न्यायालय में माल्या मई में अपनी अपील हार गए थे. ब्रिटेन के उच्चतम न्यायालय में माल्या की अपील खारिज होने के बाद भारत उसके प्रत्यर्पण पर जोर दे रहा है. भारत प्रत्यर्पित किए जाने के खिलाफ ब्रिटेन की शीर्ष अदालत में अपील खारिज होने के पहले अप्रैल में उच्च न्यायालय में भी उनकी अपील खारिज हो गई थी.

भारत ने इसी साल जून में ब्रिटेन से अनुरोध किया था कि वह माल्या के शरण के आग्रह पर विचार नहीं करे. माल्या मार्च 2016 से ही ब्रिटेन में हैं और 18 अप्रैल 2017 को स्कॉटलैंड यार्ड (लंदन पुलिस) द्वारा प्रत्यर्पण वारंट की तामील किए जाने के बाद से वह जमानत पर हैं. माल्या 9 हजार करोड़ रुपए के लोन घोटाले में आरोपी हैं. एसबीआई सहित 17 बैंकों से यह लोन लिया गया था. भारतीय एजेंसियों का शिकंजा कसने के बाद माल्या ने कई बार बैंकों का पैसा लौटाने की भी पेशकश की है.

विजय माल्या केस टाइमलाइन :

* 2 मार्च, 2016 को विजय माल्या लंदन पहुंचा.
* 21 फरवरी 2017 को होम सेक्रेटरी ने माल्या के प्रत्यर्पण के लिए अर्जी दी.
* 18 अप्रैल, 2017 को विजय माल्या को लंदन में गिरफ्तार किया गया है. उसे उसी दिन बेल भी दे दी गई.
* 24 अप्रैल 2017 को उसका भारतीय पासपोर्ट निरस्त कर दिया गया.
* 2 मई 2017 को उसने राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया.
* 13 जून 2017 वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट में केस मैनेजमेंट और प्रत्यर्पण की सुनवाई शुरू हुई.
* 10 दिसंबर 2018 को मुख्य मजिस्ट्रेट एम्मा अर्बुथनोट प्रत्यर्पण की मंजूरी देती हैं और गृह सचिव को फाइल भेजती हैं.
* 3 फरवरी 2019 को गृह सचिव ने भारत को प्रत्यर्पण का आदेश दिया.
* 5 अप्रैल 2019 को इंग्लैंड और वेल्स के उच्च न्यायालय के न्यायाधीश डेविड ने अपील करने के लिए कागजात पर अनुमति देने से इनकार कर दिया.
* 2 जुलाई, 2019- एक मौखिक सुनवाई में, जस्टिस लेगट और जस्टिस पॉपप्वेल ने इस आधार पर अपील करने की अनुमति दी कि आर्बुथनॉट ने यह निष्कर्ष निकालने में गलती की थी कि भारत ने माल्या के खिलाफ एक प्रथम दृष्टया मामला कायम किया था.
* 11-13 मई, 2020 को जस्टिस इरविन और जस्टिस लैंग ने अपील सुनी.
* 20 अप्रैल, 2020 को अपील खारिज, अंतिम निर्णय के लिए गृह सचिव के पास गया मामला.

हैदराबाद में ढहा ओवैसी और टीआरएस का गढ़, बीजेपी का जबरदस्त प्रदर्शन

न्यूज डेस्क: ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (जीएचएमसी) चुनाव में 1,122 प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला होना है. इससे पहले चुनाव प्रचार के दौरान सभी दलों ने एड़ी चोटी का जोर लगाया था लेकिन ओवैसी के गढ़ में पैर जमाने के लिए BJP ने पहली बार किसी नगर निगम चुनाव के लिए इतनी आक्रामकता दिखाई. 150 में टीआरएस ने 56 सीटों पर जीत हासिल की है. वहीं, AIMIM को 43 और बीजेपी को 49 सीटों पर जीत मिली है. जबकि कांग्रेस के खाते में सिर्फ 2 सीटें आई है.


ओवैसी का किला माने जाने वाले हैदराबाद को बीजेपी ने लगभग भेद ही दिया है. ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (जीएचएमसी) चुनाव की 150 सीटों पर मतगणना के बाद से ही बीजेपी बढ़त बनाती दिखी. शुरू में तो बीजेपी 87 सीटों पर आगे रही. लेकिन उस समय पोस्टल बैलट ही गिने गये थे. बीजेपी ने जिस तरह यहां चुनाव प्रचार में ताकत झोंकी उसका फायदा भी हुआ. 2016 चुनाव में बीजेपी को गठबंधन में यहां 5 सीटें मिली थीं.

चुनाव प्रचार के दौरान सभी दलों ने एड़ी चोटी का जोर लगाया था लेकिन ओवैसी के गढ़ में पैर जमाने के लिए बीजेपी ने पहली बार किसी नगर निगम चुनाव में किसी बड़े चुनाव की तरह सारी ताकत लगा दी. शाह, नड्डा और योगी समेत सभी बडे़ नेताओं ने प्रचार किया. आज कौन मारेगा बाजी, इसकी तस्वीर दोपहर तक साफ हो जाएगी-

हैदराबाद निकाय चुनाव के लिए जारी मतगणना के बीच बीजेपी नेता किरीट सोमैया ने ट्वीट किया- हैदराबाद में जीत हमारी है, अगले साल मुंबई की बारी है.

महाराष्ट्र विधान परिषद चुनावों में कौन जीता जानिये

न्यूज डेस्क: महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव में बीजेपी को बड़ा झटका लगा है. 6 सीटों पर हुए चुनाव में बीजेपी को सिर्फ एक सीट पर जीत मिल सकी है जबकि उसके प्रतिद्वंद्वी शिवसेना-एनसीपी और कांग्रेस गठबंधन ने 4 सीट पर जीत दर्ज की है. एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार के खाते में जाते दिख रही है. इस बीच, महाराष्ट्र बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि विधान परिषद चुनाव के नतीजे हमारी उम्मीद के मुताबिक नहीं रहे.

फडणवीस ने कहा, “महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव का परिणाम हमारे उम्मीदों के अनुरूप नहीं रहा. हम ज्यादा सीटें जीतने की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन हम सिर्फ एक सीट जीत सके. हमने महा विकास अघाड़ी (शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन) की ताकत को आकलन करने में गलती की.”

बीजेपी अपने कथित गढ़ स्नातक निर्वाचन क्षेत्रों में हार गई. उसकी सबसे बड़ी हार नागपुर सीट पर हुई. यहां बीजेपी की पकड़ काफी मजबूत मानी जाती है. पूर्व में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के पिता गंगाधर राव फडणवीस इस सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. गडकरी 1989 में पहली बार इस क्षेत्र से जीते थे और 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ने से पहले चार और जीत दर्ज की थी.

पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस समेत महाराष्ट्र बीजेपी के अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल समेत बीजेपी नेताओं ने पुणे में भी प्रचार किया था, जहां विरोधी गठबंधन ने जीत दर्ज की. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरद पवार ने औरंगाबाद और पुणे स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से जीत दर्ज की है.

खरमास में कल्पवास और सूर्यदेव की पूजा से मिलता है विशेष फल

न्यूज डेस्क: खरमास को पौष मास भी कहते हैं. इस महीने में दान-तप आदि किया जाता है. जब सूर्य देव गुरु की राशि धनु या मीन में विराजमान रहते हैं, उस समय को खरमास कहा जाता है. इस महीने दिसंबर में 14 तारीख से खरमास शुरू हो रहे हैं. पौष माह में कल्पवास का विधान किया गया है. कल्पवास का अर्थ है कि संगम के तट पर निवास कर वेदाध्ययन और ध्यान तथा साधना करना. इसके बाद मकर संक्रांति के दिन संगम में स्नान किया जाता है. पौष खरमास का मास है, जिसमें किसी भी तरह के मांगलिक कार्य, विवाह, यज्ञोपवीत या फिर किसी भी तरह के संस्कार नहीं किए जाते हैं. तीर्थ स्थल की यात्रा करने के लिए खरमास सबसे उत्तम मास माना गया है.

खरमास की प्रचलित कथा

इस कथा के अनुसार सूर्यदेव अपने सात घोड़ों के रथ में भ्रमण कर रहे थे. घूमते घूमते अचानक उनके घोड़े प्यास से व्याकुल हो उठे. रास्ते में उन्हें एक तालाब दिखाई दिया. सूर्यदेव ने अपने रथ को रोक दिया और घोड़ों को पानी पिलाने लगे. पानी पीने के बाद घोड़े थकान से भर गए, तभी सूर्यदेव को स्मरण हुआ कि सृष्टि के नियमानुसार उन्हें निरंतर ऊर्जावान होकर चलते रहने का आदेश है.

इस बीच सूर्यदेव को तालाब के किनारे दो गधे दिखाई दिए. सूर्यदेव उन गधों को अपने रथ में जोतकर वहां से चल दिए. इस तरह सूर्यदेव इस पूरे माह मंद गति से गधों की सवारी से चलते रहे. इस समय उनका तेज भी कम हो गया. पुनः मकर राशि में प्रवेश करने के समय एक माह पश्चात वह अपने सातों घोड़ों पर सवार हुए.
कुंभ, अर्धकुंभ, महाकुंभ, सिंहस्थ और पूस एवं माघ माह की पूर्णिमा को नदी किनारे कल्पवास करने का विधान है. इस बार माघ पूर्णिमा से कल्पवास प्रारंभ हो रहा है. कल्पवास का अर्थ होता है संगम के तट पर निवास कर वेदाध्ययन, व्रत, संत्संग और ध्यान करना. कल्पवास पौष माह के 11वें दिन से माघ माह के 12वें दिन तक रहता है. कुछ लोग माघ पूर्णिमा तक कल्पवास करते हैं.

कल्पवास क्यों और कब 

प्राचीनकाल में तीर्थराज प्रयागराज में घना जंगल हुआ करता था. यहां सिर्फ भारद्वाज ऋषि का आश्रम ही हुआ करता था. भगवान ब्रह्मा ने यहां यज्ञ किया था. उस काल से लेकर अब तक ऋषियों की इस तपोभूमि पर कुंभ और माघ माह में साधुओं सहित गृहस्थों के लिए कल्पवास की परंपरा चली आ रही है. ऋषि और मुनियों का तो संपूर्ण वर्ष ही कल्पवास रहता है, लेकिन उन्होंने गृहस्थों के लिए कल्पवास का विधान रखा. उनके अनुसार इस दौरान गृहस्थों को अल्पकाल के लिए शिक्षा और दीक्षा दी जाती थी.

कल्पवास के नियम

इस दौरान जो भी गृहस्थ कल्पवास का संकल्प लेकर आता है ऋषियों की या खुद की बनाई पर्ण कुटी में रहता है. इस दौरान दिन में एक ही बार भोजन किया जाता है तथा मानसिक रूप से धैर्य, अहिंसा और भक्तिभावपूर्ण रहा जाता है. पद्म पुराण में इसका उल्लेख मिलता है कि संगम तट पर वास करने वाले को सदाचारी, शान्त मन वाला तथा जितेन्द्रिय होना चाहिए. कल्पवासी के मुख्य कार्य है:- 1.तप, 2.होम और 3.दान.

यहां झोपड़ियों (पर्ण कुटी) में रहने वालों की दिनचर्या सुबह गंगा-स्नान के बाद संध्यावंदन से प्रारंभ होती है और देर रात तक प्रवचन और भजन-कीर्तन जैसे आध्यात्मिक कार्यों के साथ समाप्त होती है. लाभ- ऐसी मान्यता है कि जो कल्पवास की प्रतिज्ञा करता है वह अगले जन्म में राजा के रूप में जन्म लेता है लेकिन जो मोक्ष की अभिलाषा लेकर कल्पवास करता है उसे अवश्य मोक्ष मिलता है.-मत्स्यपु 106/40

स्नान का महत्व

‘पद्मपुराण’ और ‘ब्रह्मवैवर्तपुराण’ में वर्णन मिलता है कि माघ पूर्णिमा पर स्वयं जगतपालक भगवान विष्णु गंगाजल में निवास करते हैं. इसलिए इस दिन गंगाजल का स्पर्शमात्र भी स्वर्ग की प्राप्ति देता है. पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु व्रत, उपवास, दान से भी उतने प्रसन्न नहीं होते, जितना अधिक प्रसन्न माघ स्नान करने से होते हैं. यही वजह है कि अनेक प्राचीन हिन्दू ग्रंथों में वैकुण्ठ को पाने का आसान रास्ता माघ पूर्णिमा के पुण्य स्नान को बताया गया है. विश्व से सबसे बड़े महाकाव्य महाभारत में उल्लेख है कि इन दिनों में अनेक तीर्थों का समागम होता है.
माघ माहात्म्य :
माघमासे गमिष्यन्ति गंगायमुनसंगमे.
ब्रह्माविष्णु महादेवरूद्रादित्यमरूद्गणा:..
अर्थात् ब्रह्मा, विष्णु, महादेव, रुद्र, आदित्य तथा मरूद्गण माघ मास में प्रयागराज के लिए यमुना के संगम पर गमन करते हैं.
प्रयागे माघमासे तुत्र्यहं स्नानस्य यद्रवेत्.
दशाश्वमेघसहस्त्रेण तत्फलं लभते भुवि..
प्रयाग में माघ मास के अन्दर तीन बार स्नान करने से जो फल होता है वह फल पृथ्वी में दस हजार अश्वमेघ यज्ञ करने से भी प्राप्त नहीं होता है.

कल्पवास के लाभ

कल्पवास के दौरान भोर में उठना, पूजा-पाठ करना. दिन में दो बार स्नान और सिर्फ एक बार सात्विक भोजन के साथ बीच में फलाहार करना शरीर के लिए बहुत ही लाभकारी होता है. इससे शरीर के भीतर जमा गंदगी बाहर निकल जाती है और फिर से नवजीवन प्राप्त होता हैं. चिकित्सकों की नजर में कल्पवास से न सिर्फ मनुष्य के शरीर का पाचन तंत्र अनुशासित होता है बल्कि खुद को स्वस्थ रखने का भी यह सबसे बेहतर माध्यम है.

बीमारियों से मु‍क्ति 

आयुर्वेद, यूनानी, और प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति में कल्पवास का खास महत्व है. चिकित्सकों का मानना है कि कल्पवास के दौरान की दिनचर्या व सात्विक खानपान से शरीर को कई बीमारियों से मुक्ति मिलती है. आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा में कल्पवास का बड़ा महत्व है. आयुर्वेद के पंचकर्मों के विधि में कल्पवास भी शामिल है. प्राकतिक चिकित्सा में भी व्रत और उपवास का महत्व बताया गया है. इसे शरीर में ऊर्जा का संचार होता है. सारी चिंताएं दूर हो जाती हैं. एलोपैथ चिकित्सक भी यही सलाह देते हैं कि संयम और संतुलन, नियमित व सीमित खानपान, व्रत और उपवास आदि से पेट की बीमारी और मोटापा जैसे रोग को भगाया जा सकता है. इससे शरीर फुर्तीला होता है.

कल्पवास पर शोध 

कुछ वर्ष पहले हुए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि धार्मिक समागमों में भाग लेने के कारण ‘समान पहचान’ तथा ‘प्रवृत्ति में प्रतिस्पर्धा के बदले सहयोग की भावना’ आने से लोगों में तंदुरुस्ती की भावना और सुख की अनुभूति बढ़ जाती है. यह निष्कर्ष भारत और ब्रिटेन के नौ विश्वविद्यालयों के मनोचिकित्सकों द्वारा किए गए एक अध्ययन में सामने आया. अध्ययन में पांच भारतीय विश्वविद्यालयों एवं चार ब्रिटिश विश्वविद्यालय के मनोचिकित्सक शामिल थे.

अध्ययन के बारे में डंडी विश्वविद्यालय के निक हॉप्किंस ने कहा था कि हमने गंगा-यमुना नदी के तट पर होने वाले वार्षिक माघ मेले में श्रद्धालुओं द्वारा किए जाने वाले तप कल्पवास का अध्ययन किया है. सेंट एंड्रयू विश्वविद्यालय के स्टीफन रिएचर ने कहा कि एक माह तक कठोर एवं बार-बार दोहराई जाने वाली दिनचर्या के कारण कल्पवासियों के रवैए में अस्थायी तौर पर ही सही, बदलाव आता है.

उनका रवैया प्रतिस्पर्धा के बजाय सहयोगात्मक हो जाता है. यह रवैया रेलवे स्टेशन की भीड़ से ठीक विपरीत होता है जहां हर कोई अपनी जगह सुरक्षित करने की फिराक में होता है और हर किसी को धक्का देने को तैयार रहता है. इस तरह के समागमों में भीड़ के अनूठे व्यवहार के मूल में यह बात होती है कि वे अन्य लोगों के बारे में ऐसा सोचते हैं कि वे भी हममें से एक हैं. किसी दूसरे व्यक्ति को अपने में से एक मान लेने की सोच से ही अन्य के प्रति अपने व्यवहार में बदलाव आ जाता है, भले ही वह पूरी तरह से अपरिचित हो.

रिएचर ने कहा कि यही बात संभवत: इस तथ्य का स्पष्टीकरण है कि इस तरह के समागमों से जुड़ी साफ-सफाई की स्थिति और ध्वनि प्रदूषण के बावजूद तीर्थयात्रियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता. हालांकि लॉसेंट जैसी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं ने अपने कई आलेखों में इस तरह के समागमों को स्वास्थ्य के लिए खराब बताया है. उन्होंने कहा कि निस्संदेह मेले के कारण स्वास्थ्य के लिए वास्तविक जोखिम उत्पन्न होते हैं और उनकी अनदेखी करना गलत होगा, लेकिन यह कहानी का केवल एक पक्ष है. निश्चित तौर पर हमारे अध्ययन का यह सबसे महत्वपूर्ण निष्कर्ष निकला कि मेले में भागीदारी करने से लोगों का शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य बेहतर हो जाता है. बेलफास्ट के क्वींस विश्वविद्यालय के क्लिफफोर्ड स्टीवनसन ने कहा कि मेले से हम मानव की तंदुरुस्ती के बारे में बहुत कुछ सीख सकते हैं.

सस्ती कोरोना वैक्सीन के लिए दुनिया की नजर भारत पर: पीएम

न्यूज डेस्क: कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों से कैसे निपटा जाए, इस पर चर्चा के लिए आज पीएम मोदी की अगुवाई में सर्वदलीय बैठक हुई. कोरोना वायरस महामारी से उत्पन्न स्थिति पर चर्चा करने के लिए केंद्र द्वारा आज बुलाई गई सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता पीएम नरेंद्र मोदी किये. माना जा रहा है कि अगले कुछ हफ़्तों में कोरोना की वैक्सीन तैयार हो जाएगी. जैसे ही वैज्ञानिकों की हरी झंडी मिलेगी भारत में टीकाकरण अभियान शुरू कर दिया जाएगा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कोरोना वायरस पर सर्वदलीय बैठक को संबोधित किया. उन्होंने कहा कहा कह अभी अन्य देशों की कई वैक्सीन के नाम हम बाज़ार में सुन रहे हैं लेकिन दुनिया की नज़र कम कीमत वाली, सबसे सुर​क्षित वैक्सीन पर है और इसलिए पूरी दुनिया की नज़र भारत पर भी है. बैठक में पीएम मोदी ने कहा कि क़रीब 8 ऐसी संभावित वैक्सीन हैं जो ट्रायल के अलग-अलग चरण में हैं और जिनका उत्पादन भारत में ही होना है. भारत की अपनी 3 वैक्सीन का ट्रायल अलग-अलग चरणों में है. विशेषज्ञ ये मान रहे हैं कि वैक्सीन के लिए बहुत ज़्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा.

कोविड-19 महामारी शुरू होने के बाद से दूसरी बार सरकार ने कोरोना वायरस से उत्पन्न हालात पर चर्चा के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई है. वायरस के प्रसार को रोकने के लिए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान 20 अप्रैल को पहली बैठक आयोजित हुई थी.

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, गृहमंत्री अमित शाह, स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन, संसदीय कार्यमंत्री प्रहलाद जोशी सहित सरकार के शीर्ष मंत्री बैठक में शामिल हुए. कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी और गुलाम नबी आजाद, तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय और डेरेक ओ ब्रायन, वाईएसआर कांग्रेस के मिधुन रेड्डी और विजयसाई रेड्डी समेत अन्य नेताओं ने बैठक में हिस्सा लिया.

तारक मेहता का उल्टा चश्मा के लेखक ने की आत्‍महत्‍या, यह है वजह

न्यूज डेस्क: टीवी सीरियल ‘तारक मेहता का उल्‍टा चश्‍मा’ के लेखकों में से एक अभिषेक मकवाना ने आत्‍महत्‍या की है, ज‍िनका एक सुसाइड नोट सामने आया है. अभिषेक लंबे समय से इस सीरियल के ल‍िए ल‍िख रहे थे. पुल‍िस द्वारा सामने आ रही जानकारी के अनुसार अभिषेक ने आत्‍महत्‍या से पहले एक सुसाइड नोट भी ल‍िख छोड़ा है और इसमें ‘आर्थिक परेशानियों’ का ज‍िक्र क‍िया है.

अभिषेक ने प‍िछले हफ्ते आत्‍महत्‍या की और उनके पर‍िवार का आरोप है क‍ि वह सायबर धोखाधड़ी का श‍िकार हुआ था और उसे ब्‍लैकमेल किया जा रहा था. मुंबई म‍िरर की खबर के अनुसार अभिषेक के परिवार वालों और दोस्‍तों का आरोप है कि उसकी मौत के बाद से ही उन्‍हें धोखा करने वालों की तरफ से लगातार फोन आ रहे हैं क‍ि वह उनका पैसा लौटा दें क्‍योंकि अभिषेक ने उन्‍हें लोन में गैरंटर बनाया था.

अभिषेक मकवाना, 27 नवंबर को अपने कांदिवली वाले घर में मृत पाए गए थे, ज‍िसके बाद चारकोप पुलिस ने इस मामले में एक्सिडेंटल डेथ का केस दर्ज किया था. इस मामले में परिवार का बयान दर्ज किया गया है. र‍िपोर्ट के अनुसार अभिषेक के भाई जेनिस ने खुलासा क‍िया है कि अभिषेक के ईमेल्‍स से फाइनेंश‍ियल फ्रॉड की बात सामने आई है. इसके अलावा पुल‍िस के अनुसार अभिषेक के सुसाइड नोट में भी आर्थ‍िक धोखाधड़ी की बात सामने आई है, जो व‍ह प‍िछले बहुत महीनों से झेल रहा था लेकिन उसने इसके बारे में ज्‍यादा कुछ नहीं लिखा है.

हिन्दू लड़की से मुस्लिम लड़के की शादी पुलिस ने मंडप में रुकवायी

न्यूज डेस्क: उत्तर प्रदेश में गैर-कानूनी धर्मांतरण को रोकने के लिए योगी आदित्यनाथ की सरकार की ओर से पेश किए गए अध्यादेश के कानून बनने के बाद राजधानी लखनऊ में पुलिस ने एक मुस्लिम युवक और हिंदू लड़की की शादी रोक दी. पुलिस ने शादी को रोकने के लिए नए अध्यादेश का हवाला दिया. यह शादी बुधवार को लखनऊ के पारा इलाके में हो रही थी, रस्में शुरू होने से कुछ मिनट पहले ही पुलिस विवाह स्थल पर पहुंची और दोनों पक्षों को अपने साथ पुलिस थाने चलने के लिए कहा.

लखनऊ पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी सुरेश चंद्र रावत ने मीडिया को बताया, “2 दिसंबर को हमें सूचना मिली थी कि एक समुदाय की लड़की दूसरे समुदाय के लड़के के साथ शादी करना चाहती है. हमने दोनों पक्षों को पुलिस थाने में बुलाया और उन्हें गैर-कानूनी धर्मांतरण पर नए अध्यादेश की प्रति दी. दोनों पक्षों ने लिखित में सहमति जताई है कि कानून के मुताबिक, डीएम (जिलाधिकारी) को इस संबंध में सूचित करने और उनकी मंजूरी मिलने के बाद ही हम शादी को लेकर आगे बढ़ेंगे.

सहमति से हो रही थी शादी

लड़की और लड़के के परिवार ने ऑन रिकॉर्ड कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. हालांकि, सूत्रों ने कहा कि शादी दोनों परिवारों की सहमति से हो रही थी और दोनों परिवारों को इसकी जानकारी थी. इसमें कोई जबरदस्ती शामिल नहीं है. सूत्रों ने कहा कि कानूनी जरूरतों को पूरा करने के बाद दोनों परिवार शादी के कार्यक्रम को आगे बढ़ाएंगे.

“गैर कानूनी धर्मांतरण विधेयक” के प्रावधानों के तहत, लालच, झूठ बोलकर या ज़ोर ज़बरदस्ती किये गए धर्म परिवर्तन या शादी के लिए किए गए धर्म परिवर्तन को अपराध माना जाएगा. नाबालिग, अनुसूचित जाति, जनजाति की महिला के धर्म परिवर्तन पर कड़ी सजा होगी. सामूहिक धर्म परिवर्तन कराने वाले सामाजिक संगठनों के खिलाफ कार्रवाई होगी. धर्म परिवर्तन के साथ अंतर धार्मिक शादी करने वाले को साबित करना होगा कि उसने इस कानून को नही तोड़ा है. लडक़ी का धर्म बदलकर की गई शादी को शादी नही माना जायेगा.

इसके अलावा, ज़बरदस्ती प्रलोभन से किया गया धर्म परिवर्तन संज्ञेय और गैर जमानती अपराध होगा. इस कानून को तोड़ने पर कम से कम 15 हज़ार रुपये जुर्माना और एक से पांच साल तक की सज़ा होगी. धर्म परिवर्तन के लिए तयशुदा फॉर्म भरकर दो महीने पहले डीएम को देना होगा,इसे न मानने पर छह महीने से तीन साल की सज़ा और कम से कम दस हज़ार रुपये जुर्माना होगा.

शाह VS ओवैसी: हैदराबाद में बड़ा उलटफेर, बीजेपी आगे

न्यूज डेस्क: ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (जीएचएमसी) चुनाव में 1,122 प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला होना है. इससे पहले चुनाव प्रचार के दौरान सभी दलों ने एड़ी चोटी का जोर लगाया था लेकिन ओवैसी के गढ़ में पैर जमाने के लिए BJP ने पहली बार किसी नगर निगम चुनाव के लिए इतनी आक्रामकता दिखाई.ओवैसी का किला माने जाने वाले हैदराबाद को बीजेपी भेदती दिख रही है.

ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (जीएचएमसी) चुनाव की 150 सीटों पर मतगणना जारी है और बीजेपी शुरुआती रुझानों में बंपर बढ़त बना चुकी है. बीजेपी 87 सीटों पर आगे है. वहीं सत्तारूढ़ टीआरएस 33 सीटों पर आगे चल रही है. हैदराबाद में दूसरे नंबर पर काबिज रही ओवैसी की पार्टी फिलहाल 17 सीटों के साथ तीसरे नंबर पर है. बीजेपी ने जिस तरह यहां चुनाव प्रचार में ताकत झोंकी उसका फायदा होता दिख रहा है. 2016 चुनाव में बीजेपी को गठबंधन में यहां 5 सीटें मिली थीं. बता दें कि जीएचएमसी चुनाव में आज 1,122 प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला होना है.

चुनाव प्रचार के दौरान सभी दलों ने एड़ी चोटी का जोर लगाया था लेकिन ओवैसी के गढ़ में पैर जमाने के लिए बीजेपी ने पहली बार किसी नगर निगम चुनाव में किसी बड़े चुनाव की तरह सारी ताकत लगा दी. शाह, नड्डा और योगी समेत सभी बडे़ नेताओं ने प्रचार किया. आज कौन मारेगा बाजी, इसकी तस्वीर दोपहर तक साफ हो जाएगी-

हैदराबाद निकाय चुनाव के लिए जारी मतगणना के बीच बीजेपी नेता किरीट सोमैया ने ट्वीट किया- हैदराबाद में जीत हमारी है, अगले साल मुंबई की बारी है.


अबतक की जानकारी के मुताबिक, पोस्टल बैलेट्स की गिनती करीब-करीब पूरी हो चुकी है और अब बैलेट पेपर की गिनती हो रही है. मौजूदा ट्रेंड के मुताबिक, बीजेपी 87, टीआरएस 33 और AIMIM 17 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है.